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Navratri Special: झारखंड वो मंदिर जहां बिना सिर वाली देवी के स्वरूप की होती है पूजा, भक्तों की हर मुराद पूरी करती हैं मां छिन्नमस्तिका

ABP Live   |  17 Sep 2022 09:55 AM (IST)
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Chhinnamastika Devi Temple: सनातन धर्म की मान्यताओं में देवी का स्थान बहुत ऊंचा है. मां के कई स्वरूप हैं और हर स्वरूप की अलग शैली और अलग तौर तरीके से पूजा अर्चना की जाती है. आज हम आपको मां के एक ऐसे स्वरूप के बारे में बताएंगे जिसमें मां के बिना सिर के स्वरूप की पूजा की जाती है. झारखंड (Jharkhand) की राजधानी रांची (Ranchi) से करीब 80 किलोमीटर दूर मौजूद मां छिन्नमस्तिका देवी (Chhinnamastika Devi Temple) का ये मंदिर भक्तों में बड़ी आस्था का केंद्र है. इस मंदिर को मां के शक्तिपीठ के तौर पर भी मान्यता है.

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मां छिन्नमस्तिका देवी को असम के मां कामाख्या मंदिर के बाद दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी शक्तिपीठ कहा जाता है. इस मंदिर में भक्त बिना सिर वाली देवी मां की पूजा करते हैं. मान्यता है कि मां के इस मंदिर में भक्तों के मन की हर मुराद पूरी हो जाती है.

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ये मंदिर रजरप्पा के भैरवी-भेड़ा के पास दामोदर नदी के संगम पर मौजूद है. पूरे साल यहां माता के भक्तों की भीड़ अपनी मनोकामना लेकर दर्शन के लिए आती रहती है. शरदीय नवरात्र और चैत्र नवरात्र के वक्त तो यहां भक्तों की भीड़ का कोई ठिकाना ही नहीं रहता.

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मान्यताओं के मुताबिक ये मंदिर करीब 6000 साल पुराना बताया जाता है. मंदिर की उत्तरी दीवार पर शिलाखंड पर मां छिन्नमस्तिका के दिव्य रूप की झलक दिखाई देती है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस मंदिर का निर्माण महाभारतकालीन है.

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मंदिर के अंदर विराजमान मां छिन्नमस्तिका को मां काली का ही एक रूप माना जाता है. मंदिर के अंदर मां प्रतिमा दाएं हाथ में तलवार और बाएं हाथ में अपना ही कटा हुआ सिर लिए दिखाई देती हैं.

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मंदिर के अंदर मां छिन्नमस्तिका का गला सर्पमाला तथा मुंडमाल से सजाया गया है. खुले केश और आभूषणों से सजी मां की प्रतिमा रक्तपान कराती दिखती है.

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