फारूक अब्दुल्ला लोकसभा चुनाव लड़ेंगे या नहीं? उमर अब्दुल्ला ने साफ की तस्वीर
उन्होंने कहा कि अब यह पार्टी की जिम्मेदारी है कि वह इस निर्वाचन क्षेत्र से ऐसे उम्मीदवार को उतारें, जिसे मतदाता जिताएं ताकि वह दिल्ली में यहां के लोगों की आवाज बन सके.
साल 2002 के विधानसभा चुनावों में उमर अब्दुल्ला को नेशनल कॉन्फ्रेंस का नेतृत्व करने के लिए चुना गया था और फारूक अब्दुल्ला केंद्र की राजनीति में सक्रिय हो गए. फारूक अब्दुल्ला 2002 में जम्मू-कश्मीर से राज्यसभा के लिए चुने गए और फिर 2009 में फिर से चुने गए.
फारूक अब्दुल्ला ने मई 2009 में राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया और उनकी पार्टी ने श्रीनगर से लोकसभा में एक सीट जीती. फारूक अब्दुल्ला संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार में नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री के रूप में शामिल हुए.
अब्दुल्ला ने 2014 के चुनाव में फिर से श्रीनगर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा लेकिन पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार तारिक हमीद कर्रा से हार गए. कर्रा ने 2017 में लोकसभा से इस्तीफा दे दिया, जिसके कारण श्रीनगर संसदीय सीट पर उपचुनाव हुआ, जिसे अब्दुल्ला ने पीडीपी उम्मीदवार नज़ीर अहमद खान को हराकर जीता. फारूक ने 2019 में फिर से चुनाव जीता.
उमर अब्दुल्ला ने कहा कि आगामी संसदीय चुनाव पिछले चुनावों से बहुत अलग हैं. पिछले 30 साल से चुनाव किसी न किसी तरह से प्रभावित हुए हैं, जिसके कारण लोगों ने चुनावों में भाग नहीं लिया. चाहे वह बंदूक के कारण हो या बहिष्कार के आह्वान के कारण.
उमर ने कहा कि श्रीनगर में हमारी राजनीति सीमित थी. कुछ क्षेत्रों में लोग वोट देने के लिए निकलते थे और हमारी राजनीति उसी पर चलती थी. इस बार माहौल अलग होगा. हम कोई बहिष्कार का आह्वान नहीं देखेंगे और बंदूकों का प्रभाव बहुत कम होगा.