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(Source: ECI | ABP NEWS)
आर्थिक संकट से जूझ रही हिमाचल सरकार ने बढ़ाए विधायकों के वेतन, जानें कितना बढ़ा भत्ता
Himachal Pradesh MLA Salary: माननीयों के वेतन भत्तों में 24 से 26 फीसदी बढ़ोतरी की गई है. अभी तक 55 हजार बेसिक वेतन के साथ प्रत्येक विधायक को 2.10 लाख रुपये मासिक दिए जाते हैं.
आर्थिक संकट से जूझ रही हिमाचल की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने विधानसभा में माननीय सदस्यों के वेतन भत्ते बढ़ा दिए हैं. इसको लेकर सत्र के अंतिम दिन सदन में मुख्यमंत्री सुखविंदर ने हिमाचल प्रदेश विधानसभा (सदस्यों के वेतन भत्ते) संशोधन विधेयक 2025 संख्यांक 9 पेश किया गया.
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इस विधेयक को सर्वसम्मति से पास कर दिया गया. विपक्ष के नेता जय राम ठाकुर सहित अन्य सदस्यों ने भी इसका समर्थन किया. विधायकों का कहना है कि उनका खर्चा लगातार बढ़ रहा है. ऐसे में 9 साल बाद उनके वेतन भत्ते बढ़े.
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माननीयों के वेतन भत्तों में 24 से 26 फीसदी बढ़ोतरी की गई है. अभी तक 55 हजार बेसिक वेतन के साथ प्रत्येक विधायक को 2.10 लाख रुपये मासिक दिए जाते हैं. इस राशि में पांच तरह के भत्ते भी शामिल हैं.
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आखिरी बार 2016 में माननीयों के वेतन में वृद्धि हुई थी. साल 2010 में विधायक का बेसिक वेतन 15 हजार हुआ करता था, जिसे बढ़ाकर 30 हजार रुपये किया गया था.
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अब फिर से माननीयों के वेतन भत्ते बढ़ाए गए हैं. आर्थिक संकट के बीच ये बढ़ौतरी हिमाचल की जनता को हजम नहीं हो रही है.
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अभी तक मुख्यमंत्री का वेतन-भत्ता, 2.65 लाख रुपये मासिक, विधानसभा अध्यक्ष का वेतन-भत्ता, 2.55 लाख रुपये मासिक और कैबिनेट मंत्री का वेतन-भत्ता, 2.55 लाख रुपये मासिक था.
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जबकि विधायक का बेसिक वेतन 55 हजार, कार्यालय भत्ता, 30 हजार रुपये, विधानसभा क्षेत्र भत्ता, 90 हजार रुपये, टेलीफोन भत्ता, 15 हजार रुपये, डाटा ऑपरेटर भत्ता, 15 हजार रुपये, प्रतिपूरक भत्ता, 5 हजार रुपये, कुल वेतन-भत्ता, 2.10 लाख रुपये था.
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हालांकि आर्थिक संकट के बीच ये बढ़ौतरी हिमाचल की जनता को हजम नहीं हो रही है. विधेयक पर विपक्ष के नेता जय राम ठाकुर ने कहा कि जब उन्होंने पहली बार मारुति 800 कार ली तो वह हादसे का शिकार हो गई. जिस गाड़ी से टक्कर हुई उसको देने के लिए साढ़े चार हज़ार रुपये नहीं थे.
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शुरू में जब मोबाइल लिया तो इनकमिंग के भी पैसे देने पड़ते थे. विधायक होने के नाते वेतन मिलता था साढ़े आठ हज़ार रुपये, बिल आ गया 12 हज़ार. ऐसे में खर्च चलाने के लिए पत्नी नौकरी करती थी तो उनसे पैसे लेने पड़ते थे. वैसे भी सरकारी कर्मचारियों का वेतन उनसे ज्यादा था. जब मुख्यमंत्री बना तो पत्नी के बराबर वेतन हुआ.
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मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह ने वेतन भत्तों को बढ़ाने के पीछे तर्क दिया कि साल में 6 लाख टैक्स देना पड़ता है. वेतन भत्तों में बढ़ोतरी 24 से 26 फीसदी की गई है, लेकिन सदस्यों को मोबाइल भत्ता नहीं मिलेगा, बिजली और पानी पर अनुदान नहीं मिलेगा और बिजली पानी का बिल देना होगा. माननीयों के वेतन भत्तों के विधेयक को पारित करने के बाद सदन की कार्यवाही अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई.
Published at : 28 Mar 2025 04:58 PM (IST)
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