Delhi Air Pollution: प्रदूषण की मार दिल्ली देहात के किसानों का बुरा हाल, फसलें हो रहीं खराब
दिल्ली में पिछले कुछ दिनों से प्रदूषण का अपने गंभीर स्तर पर होने के वजह से ग्रामीण क्षेत्रों में खेती किसानी पर उसका बुरा असर पड़ा है. सबसे ज्यादा नुकसान सीजनल सब्जियों के उत्पादकों का इससे हुआ है. प्रदूषण न केवल लोगों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है, बल्कि इससे फसलों को भी नुकसान हो रहा है. जहां लोग इस समय जहरीली हवा को सांसों के रूप में लेने को मजबूर हैं, तो वहीं धुआं-धूल युक्त प्रदूषण खेतों में लगे फसलों को सांस ही नहीं लेने दे रहा है, जिस कारण फसलें धीरे-धीरे पीली पड़ कर खराब होने लगी है. कैसे इस वायु प्रदूषण का असर हो रहा है खेतों में लगी फसलों में और क्या कहना है किसानों का जानिए पूरी खबर में.
बायोडायवर्सिटी पार्क की फेंसिंग नहीं होने के कारण जंगली और आवारा पशु लगातार उनकी फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, जिससे वे लोग काफी परेशान हो चुके हैं. एक तो जंगली और आवारा पशुओं के आतंक की मार, उपर से ओस की बूंदों के साथ आसमानों से गिरती जहरीले धुएं और धूल का वार फसलों को तो नुकसान पहुंचा ही रहा है साथ ही किसानों के मनोबल के साथ उनकी कमर को भी तोड़ने वाला है, क्योंकि आज हालत यह है कि किसानों को हर फसल की बुआई में नुकसान उठाना पड़ता है फिर भी वे हिम्मत कर के कर्ज लेते हैं और खेती-किसानी करते हैं ताकि उनका पुराना कर्ज उतर सकें.
बीते महीनों में बारिश और फिर बाढ़ के कारण हुए नुकसान का भी सरकार की तरफ से उन्हें अब तक कोई मुआब्जा नहीं मिला है. वहीं अब फिर से उनके फसल खराब हो रहे हैं. ऐसे में एक बार फिर से किसानों को सरकार से मदद की उम्मीद है. दिल्ली के किसानों का कहना है कि कुछ ऐसी व्यवस्था की जाए कि किसानों के फसलों के खराब होने की स्थित में उन्हें सही समय पर मुआब्जा मिल सके ताकि वे अपनी खेती को जारी रख सकें नहीं तो आने वाले दिनों में ऐसे हालात भी उत्पन्न हो सकते हैं कि देश का अन्नदाता खुद ही अन्न के लिए तरसने को मजबूर हो जाएगा.
किसानों का कहना है कि प्रदूषण की मार झेल रहे फसलों और किसानों को जंगली और आवारा पशुओं की दोहरी मार का भी सामना करना पड़ रहा है. रात के वक्त जंगली सुअर समेत कई जानवर इन खेतों में आ कर फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं. वहीं नील गाय के साथ आवारा पशु तो दिन हो या रात जब मर्जी इन खेतों में आ कर फसलों को चारे के रूप में चरने लगती है.
लगातार प्रदूषण का क्रिटिकल श्रेणी में बने रहने से पौधे पीले पड़ कर खराब होने लगे हैं. प्रदूषण का असर ऐसा है कि खेतों में लगी लौकी, तोरी, गाजर, हरा धनिया , पोदीना, पालक , सरसों, पत्ता गोभी, फूल गोभी जैसी कई हरी सब्जी की फसलें पीली पड़ कर खराब हो रही है.
बुराडी यमुना खादर में खेती करने वाले एक किसान लक्ष्मण चौधरी ने एबीपी लाईव से बात करते हुए कहा कि बुराडी के किसान इस वक्त दोहरी मार को झेलने को मजबूर हैं.
एक तो इस वक्त राजधानी में हर तरफ फैला प्रदूषण लोगों के लिए हानिकारक होने के साथ फसलों को मारने वाला बन चुका है. सांस के रूप में वे जहरीली हवा को अपने अंदर ले रहे हैं, जबकि यही प्रदूषण उनके फसलों को सांस लेने नहीं दे रहा है. हवा में जहरीले धुएं और धूल ओस के साथ गिर कर उनकी फसलों पर जमा हो गए हैं, जिससे खेतों में लगे पौधे सांस के रूप में कार्बन डाई ऑक्साईड लेने और ऑक्सीजन छोड़ने की प्राकृतिक प्रक्रिया को पूरा नहीं कर पा रहे हैं.
बुराडी यमुना खादर में खेती करने वाले एक किसान लक्ष्मण चौधरी ने एबीपी लाईव से बात करते हुए कहा कि बुराडी के किसान इस वक्त दोहरी मार को झेलने को मजबूर हैं.
प्रदूषण की वजह से कारण खेतों में लगे पौधों के सांस लेने की प्रक्रिया बाधित हो रही है. इससे पौधे धीरे-धीरे पीले हो कर खराब हो रहे हैं. जिससे किसानों को एक बार फिर से नुकसान उठाने का डर सताने लगा है. पूरी तरह से मौसम पर निर्भर खेती-किसानी पिछले कुछ वर्षों से मौसम की ही मार झेलने को मजबूर है. कभी अति बारिश, कभी बाढ़ तो अब प्रदूषण किसानों को नुकसान पहुंचाती नजर आ रही है. हवा में मौजूद धूल और धुआं रात को ओस की बूंदों के साथ नीचे गिर कर फसलों के पत्तों पर जमा हो रहा है, जो फसलों के ऊपर एक परत की तरह बन जाए रही है.