दिल्ली की रामलीला में वनवास के प्रसंगों ने दर्शकों को किया भावविभोर, भजन संध्या ने बांधा समां
कुछ ऐसा ही देखने को मिला लाल किला के नव श्री धार्मिक लीला कमेटी और द्वारका श्री रामलीला सोसायटी द्वारा मंचित पांचवे दिन की लीला में, जहां कलाकारों ने लीला के किरदारों एवं दृश्यों का जीवंत प्रदर्शन कर दर्शकों को भावविभोर कर दिया.
नव श्री धार्मिक लीला कमेटी द्वारा आयोजित मंचन में वनवास काल की भावनात्मक झांकियां प्रस्तुत की गयी. श्रीराम की प्रजा से विदाई, निषादराज गुह से भेंट, राम-केवट संवाद, भरत-केकई संवाद, पंचवटी प्रसंग और शूर्पणखा नासिका छेदन जैसे प्रसंगों ने दर्शकों को मर्यादा पुरुषोत्तम के त्याग, सेवा और धर्मनिष्ठा का संदेश दिया. भव्य पोशाकों, संगीतमय संवादों और प्रकाश व्यवस्था ने लीला को अलौकिक बना दिया.
श्रद्धालुओं ने कलाकारों की भावपूर्ण अदाकारी की खुलकर सराहना की. दर्शक कभी भावनात्मक दृश्यों पर भावुक होकर निकलते आंसुओं को पोछते नजर आए तो कभी हर्षित होकर पूरे माहौल को तालियों की गड़गड़ाहट से गुंजयमान करते दिखे. कमेटी के कोषाध्यक्ष प्रेम सिंघानिया ने बताया कि आगामी दिनों में और भी रोचक एवं शिक्षाप्रद प्रसंगों का मंचन किया जाएगा.
लीला के पांचवे दिन श्रद्धा और भक्ति से ओतप्रोत भजन संध्या का भी आयोजन किया गया. जिसमें अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त गायक पीयूष कैलाश अनुज ने राम नाम रस, सीता राम गुणगान और हनुमान वंदना जैसे भजनों की प्रस्तुति से पूरे पंडाल को भक्ति रस में डुबो दिया.
इस शानदार प्रस्तुति के लिए समिति पदाधिकारियों ने पीयूष कैलाश अनुज का शॉल और स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मान किया. आयोजकों ने बताया कि भजन संध्या न केवल रामायण की शिक्षाओं से जोड़ती हैं, बल्कि श्रद्धालुओं को आत्मिक शांति का अद्वितीय अनुभव कराती हैं.
वहीं, द्वारका श्री रामलीला मंचन में भी दशरथ-कैकेयी संवाद, राम वनवास और केवट प्रसंग जैसे हृदयस्पर्शी दृश्य प्रस्तुत किए गए. इन प्रसंगों के दौरान दर्शकों की आंखें नम हो गईं और पूरा मैदान मौन एवं भावनाओं से भरा नजर आया.
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए अशोक चंद्र (एमडी, पंजाब नेशनल बैंक) और जय प्रकाश (पूर्व महापौर, दिल्ली नगर निगम) ने आयोजन समिति को शुभकामनाएं दीं. उन्होंने कहा कि, रामलीला केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि यह भारतीय संस्कृति की आत्मा है, जो समाज को धर्म और मर्यादा का मार्ग दिखाती है.
समिति के पदाधिकारी आकाश राजेश गहलोत ने कहा कि, उनका लक्ष्य केवल लीला मंचन नहीं, बल्कि हर हृदय में श्रीराम के आदर्शों की ज्योति प्रज्वलित करना है. उन्होंने बताया कि, आने वाले दिनों में दर्शक भरत मिलाप, सीता स्वयंवर और सुग्रीव मैत्री जैसे लोकप्रिय प्रसंगों के भव्य मंचन का आनंद ले सकेंगे.