Chhath Puja 2023: आज रात खरना पूजा, छठ व्रतियों के 36 घंटे के निर्जला व्रत की होगी शुरुआत
खरना का अर्थ है शुद्धता. यह पूजा नहाय खाय के अगले दिन मनाया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन अंतर मन की स्वच्छता पर जोर दिया जाता है. खरना पूजा इस महापर्व के दौरान की जाने वाली अहम पूजा है. ऐसा कहा जाता है इसी दिन छठी मैया का आगमन होता है, जिसके बाद व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है.
खरना पूजा के दिन व्रती नहाने के बाद भगवान सूर्य की पूजा करती हैं. शाम के समय मिट्टी के चूल्हे पर साठी के चावल, गुड़ और दूध की खीर बनाई जाती है. जिसे भोग के रूप में सबसे पहले छठ माता को अर्पित किया जाता है. आज के दिन व्रती उपवास रख कर रात में खरना पूजा के बाद प्रसाद ग्रहण करती हैं और फिर घर के सदस्यों को प्रसाद दिया जाता है.
आज 18 नवंबर को खरना पूजा के बाद षष्ठी तिथि यानी 19 नवंबर को अस्ताचलगामी भगवान भास्कर की आराधना-पूजा कर अर्घ्य दिया जाएगा.
20 नवंबर सप्तमी तिथि को पारण के दिन उदयगामी सूर्य की पूजा कर उन्हें दूध और गंगा जल का अर्घ्य दिया जाएगा. जिसके बाद इस चार दिवसीय महापर्व का समापन प्रसाद वितरण के साथ होगा.
नहाय-खाय से शुरू होने वाले इस महापर्व का विधान चार दिनों तक चलता है. भगवान भास्कर की आराधना का लोकपर्व सूर्य षष्ठी (डाला छठ) कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि में मनाया जाता है. इस तिथि में व्रती महिलाएं शाम के समय नदी, तालाब-सरोवर या कृत्रिम रूप से बनाये गए जलाशय में खड़ी हो कर अस्ताचलगामी भगवान सूर्य की आराधना करती हैं.
व्रती महिलाएं औऱ श्रद्धालु भगवान भास्कर को अर्घ्य देते हैं और दीप जलाकर रात्रि पर्यंत जागरण के साथ गीत और कथा के जरिये भगवान सूर्य की महिमा का बखान किया जाता है.
इसके बाद सप्तमी की तिथि में प्रातः काल उगते हुए सूर्य की पूजा कर अर्घ्य दिया जाता है और फिर प्रसाद ग्रहण करने के साथ इस महापर्व का समापन होता है.