Surajpur: जगमोहन के हाथों में है जादू, चंद में मिनटों में हू-ब-हू उतार देते हैं तस्वीर, देखें कुछ खास पेंटिंग्स
कहते हैं हर इंसान के अंदर एक विशेष कला छिपी रहती है. जिसकी पहचान हो जाए तो इंसान काफी जल्दी सफल हो जाता है. चाहे वो कुछ बनाने का हो, गाने का हो या बजाने का. छत्तीसगढ़ में भी एक ऐसा ही कलाकार है. जिसे बचपन में ही अपने अंदर छिपी कला की पहचान तो हो गई. मशहूर भी हुआ. लेकिन सरकारी मदद के अभाव में इस कलाकार का जीवन मुफलिसी में कट रहा है.
सूरजपुर जिले के भैयाथान ब्लॉक अंतर्गत ग्राम केवरा में रहने वाले जगमोहन विश्वकर्मा को पेटिंग कला में महारत हासिल है. इनके पास ऐसी प्रतिभा है कि किसी की भी पेटिंग हू-ब-हू बना दें. इनके इस कला की प्रसिद्धि इनके गांव तक ही सीमित नहीं हैं. बल्कि अन्य जिलों में भी इनकी बनाई पेटिंग बिकती हैं. लेकिन जब से कोविड-19 का दौर शुरू हुआ है. तब से इनका जीवन काफी मुश्किल दौर से गुजर रहा है. इन्हें शासन से मदद की दरकार है.
जगमोहन जब तीसरी कक्षा के विद्यार्थी थे. तब स्कूल विभाग की ओर से बच्चों के लिए चित्र बनाने के लिए ड्राइंग बुक आते थे. उस समय जगमोहन की पेंटिंग कला धार पकड़ रही थी. इसी दौरान एक मौका ऐसा भी आया. जब जगमोहन को चेन्नई ले जाया गया और तत्कालीन राष्ट्रपति से मुलाकात भी हुई.
जगमोहन विश्वकर्मा बताते हैं जब वो तीन-चार साल के थे. तब से पेटिंग बनाते हैं. उस समय पेटिंग के संबंध में कोई जानकारी नहीं थी. बस कुछ-कुछ पेंट करते रहने का एक शौक था. इससे पहले वे नहीं जानते थे कि ये सब क्या है, कला क्या है? ऐसा करते-करते कुछ समय बाद पेटिंग के बारे में थोड़ा बहुत जानकारी हुआ. तो गांव के कुछ लोगों की जगमोहन के पेंटिंग कला पर नजर पड़ी. अच्छी पेंटिंग बनाने पर तारीफ भी मिली. उस समय केवरा गांव में जुगेश्वर दास नाम के व्यक्ति का एक परिवार रहता था. जो वर्तमान में अम्बिकापुर में रहता है. उस वक्त जगमोहन के पिता और जुगेश्वर दास मित्र थे. आपस में भाई की तरह दोस्ती थी. उसी परिवार ने जगमोहन के पेंटिंग कला को देखकर, इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए सपोर्ट किया.
वर्तमान में जगमोहन के सिर से माता पिता का साया उठ चुका है. ग्रामीण परिवेश में पले बढ़े जगमोहन विश्वकर्मा पत्नी और तीन बच्चों के साथ दो कमरे के घर में रहते हैं. मगर उनके पेंटिंग कार्य से परिवार का पालन पोषण नहीं हो पाता है. वहीं पिछले दो साल से कोरोना की मार ने जगमोहन के सिर पर आर्थिक तंगी का बोझ डाल दिया है.
जगमोहन ने बताया कि कलाकार का भी पेट होता है. उसका भी परिवार होता है. नाम तो मिलता है, लेकिन प्रशासन से सहयोग नहीं मिला. हालांकि जगमोहन की कलाकारी के किस्से जब सूरजपुर कलेक्टर डॉ गौरव कुमार सिंह के पास पहुंचे, तो उन्होंने जगमोहन को शासकीय प्रोजेक्ट दिया है. जिला मुख्यालय में बने कला केंद्र में कलाकरी को स्थान मिलने जा रहा है ताकि जगमोहन कला के दम पर नाम कमा सके और परिवार का ठीक ढंग से पालन पोषण भी कर सके.सूरजपुर कलेक्टर डॉ गौरव कुमार सिंह ने बताया कि जगमोहन को सूरजपुर जिला मुख्यालय में बने कलाकेंद्र में प्रशिक्षण देने का कार्य दिया गया है. वहां बच्चे आएंगे, सीखेंगे. उसी के हिसाब से पैसा दिया जाएगा.