In Pics: कोरिया में दुर्घटनाओं से बचाने के लिए गौवंशों के गले में लगाए जा रहे रेडियम पट्टी, देखें तस्वीरें
छत्तीसगढ़ की सड़कें पिछले कुछ वर्षों से हादसों की सड़क बन गई हैं. प्रदेश की सड़कें गौशाला में तब्दील हो गई है. सड़कों पर खड़े मवेशी लगातार हादसों का कारण बन रहे हैं. इन हादसों की वजह से कभी मवेशी की सड़क पर मौत हो रही है तो कभी मवेशी से टकराकर वाहन चालक असमय ही काल के गाल मे समा रहे हैं.
इस गंभीर मुद्दे को लेकर सरकार ने आज तक कोई एक्शन प्लान नहीं बनाया. अविभाजित कोरिया जिला में कुछ पशु प्रेमियों के संगठन ने हादसे कम करने का सार्थक तरीका ढूंढ निकाला है. कोरिया जिले में गौ रक्षा वाहिनी के द्वारा पिछले 7-8 सालों से गौवंशों की सड़कों पर सुरक्षा के दृष्टिकोण से अभियान चलाया जा रहा है.
इसके तहत समय-समय पर गौवंशों के गले मे चमकदार रेडियम पट्टी लगाया जा रहा है. यह रेडियम बेल्ट (पट्टी) सड़क पर घूमने वाले पशुओं को रात के अंधेरे में दुर्घटना का शिकार होने से बचाने के लिए लगाया जाता है. जिसे सामने की ओर से आने वाले वाहन चालक आसानी से देख सकें और अपनी सहित गौवंश की भी रक्षा हो सके.
गौ रक्षा वाहिनी के जिलाध्यक्ष अनुराग दुबे ने बताया कि यह अभियान लगातार चलता रहेगा. उनके इस कार्य में उनके साथियों का भी भरपूर सहयोग मिलता है. श्री दुबे ने बताया कि उनके द्वारा अब तक पिछले कई सालों में लगभग 3 हजार से ज्यादा गौवंशों को रेडियम बैल्ट (पट्टी) लगाई गयी है. जिसके फलस्वरूप सैकड़ों गौवंशों की जान भी बचाई जा सकी है.
कुछ साल पहले छत्तीसगढ़ वन विभाग ने जंगली हाथियों के उत्पात से बचने और उसका लोकेशन पता करने के लिए रेडियो कालर लगाने की योजना पर काम किया था. लेकिन कुछ हाथियों में रेडियो कॉलर लगाने के बाद मामला ढक के तीन पात हो गया था. हालांकि इस बार मवेशियों को इंसान से और इंसान को मवेशी से बचाने के लिए जो योजना कोरिया जिले में चालू की गई है, वो सरकारी नहीं है.
शायद यही वजह है कि गौ सैवको के इस संगठन ने अब तक उन हजारों मवेशियों के गले में रेडियम कॉलर लगा दिया है जिनके मालिक अनुपयोगी होने पर अपने मवेशियों को सड़कों पर छोड़ देते हैं. बहरहाल अगर पशु प्रेमियों के इस सार्थक पहल के साथ जिला प्रशासन लापरवाह पशु सेवकों पर ठोस कार्रवाई करने लगे तो प्रदेश में बढ़ रहे सड़क हादसों में निश्चित ही कमी आएगी.