In Pics: आधे-अधूरे सड़क निर्माण से रामगढ़ जाने वाले श्रद्धालुओं के पैरों में पड़े छाले, 10 किमी चलना पड़ता है पैदल
इन धार्मिक स्थलों में एक रामगढ़ पर्वत शामिल है जो ऐतिहासिक एवं धार्मिक दृष्टि से न सिर्फ प्रदेश में बल्कि देश में महत्वपूर्ण स्थान है, लेकिन जितना विकास इस ऐतिहासिक धरोहर को होना चाहिए उतना नहीं हो पाया है.
रामगढ़ में राम नवमी में हर वर्ष हजारों की संख्या में लोग दर्शन करने पहुंचते हैं परंतु अधूरे सड़क ने श्रद्धालुओं की न सिर्फ परेशानी बढ़ा दी है, बल्कि दर्शन करने जाने वाले श्रद्धालुओं के पैर में छाले पड़ जाते हैं. जबकि बुजुर्गों और कमजोर लोगों के लिए रामगढ़ दर्शन करना दूभर हो गया है.
जिले के उदयपुर विकासखंड मुख्यालय में रामगढ़ पर्वत स्थित है जो न सिर्फ ऐतिहासिक है बल्कि धार्मिक दृष्टि से प्रदेश व देश में महत्वपूर्ण स्थान है.
पर्वत के चोटी स्थित मंदिर में आज भी पहुंचने के लिए कमजोर व बुजुगों के लिए सपना है. क्योकि यहां अभी तक रोपवे की सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई है. सीढ़ी में रेलिंग तक नहीं लगा है. पुराने मंदिर का विकास नहीं हुआ है.
वहीं सदियों पुरानी छोटी सी मंदिर है जहां राम सीता जानकी विराजमान है. पर्वत पर स्थित मंदिर सहित आसपास जगहों पर पानी, बिजली सहित अन्य समस्याएं है और सुविधा नहीं होने का खामियाजा यहां दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं को भुगतना पड़ता है.
ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि रामगढ़ के धार्मिक व ऐतिहासिक जगह होने के बावजूद यहां जितना विकास होना चाहिए था वो आज तक नहीं हो सका.
पुरानी मान्यता है कि यह वही रामगढ़ है जहां भगवान राम को जब 14 वर्ष का वनवास हुआ था तब राम, लक्ष्मण, सीता कुछ समय का वनवास के लिए रुके थे. जिसका कई प्रमाण आज भी है जैसे सीता बेगरा, हठफोड़ नाला, चंदन तालाब, सोनतालाब, लक्ष्मण गुफा, सीता कुड़ सहित अन्य प्रत्यक्ष प्रमाण है.
जो भगवान राम के बनवास के समय के यादों को ताजा करती है. इसके अलावा महाकवि कालिदास ने मेघदूत जैसे विश्व प्रसिद्ध काव्य की रचना रामगढ़ में की थी. जिसके नाम पर हर साल प्रथम आषाढ़ मास के रूप में यहां मनाया जाता है.
रामपथ गमन मार्ग में स्थल जुड़ जाने के कारण लगभग 9 करोड़ के लागत से सीसी सड़क का निर्माण सीता बेंगरा से सीढ़ी तक हो रहा है. लेकिन ठेकेदार की लापरवाही से काम कछुआ गति से चल रहा है जिससे आज तक पूरा नहीं हो सका. ऐसे में अधुरे सड़क निर्माण के कारण नीचे ही श्रद्धालुओं की गाड़ियों को रोक दिया जाता है.
जिस कारण श्रद्धालुओं को लगभग 10 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है. ऐसे में लंबी दूरी होने के कारण कई लोग मंदिर का दर्शन नहीं कर पाते. अधूरे सड़क निर्माण के कारण पूरे रास्ते में बेतरकीब गिट्टी फैला दिया गया है. जिस कारण पैदल चलने वाले कई लोगों के पैरों में छाले पड़ जाते हैं.
नवरात्रि के दिन श्रद्धालुओं की अधिक भीड़ होने के कारण उदयपुर, लखनपुर, अम्बिकापुर के कई व्यवसायियों एवं रामगढ़ सेवा समिति अदानी तथा समाज सेवकों द्वारा पेयजल वितरण सहित भंडारे का आयोजन किया जाता है.