Pitru Paksha 2023: पूर्वजों को मोक्ष दिलाने के लिए जर्मनी से 12 तीर्थयात्री पहुंचे गया, कड़ी सुरक्षा में पिंडदान एवं तर्पण, देखें तस्वीरें
गया में 14 अक्टूबर तक चलने वाले विश्व प्रसिद्ध पितृ पक्ष मेले में देश-विदेश से हिंदू सनातन धर्मावलंबी पहुंचकर अपने पितरों का पिंडदान, तर्पण और विभिन्न कर्मकांडों को पूरा करते हैं. वैसे तो गया में साल भर पिंडदान किया जाता है लेकिन पितृपक्ष मेले में इसका विशेष महत्व है.
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View In Appधार्मिक ग्रंथों में वर्णित है कि इस पितृपक्ष के दौरान महालय योग में सभी पितृ अपने वंशजों का इंतजार करते हैं और इस अवधि में पिंडदान करने से पितरों को सद्गति और मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है.
बुधवार (11 अक्टूबर) को विष्णुपद मंदिर स्थित ब्राह्मणी घाट पर जर्मनी से आए 11 महिला और 1 पुरुष तीर्थयात्री ने अपने पितरों का पिंडदान किया. सभी विदेशी महिलाओं ने भारतीय परिधान साड़ी पहनकर सनातन धर्म के सभी नियमों का पालन कर पिंडदान किया. कड़ी सुरक्षा व्यवस्था भी दिखी.
जर्मनी से आई अलेक्सांद्रा ने बताया कि सनातन धर्म से काफी प्रभावित होकर वह पहली बार गया पिंडदान करने पहुंचीं हैं. उन्होंने अपने पिता के लिए पिंडदान व तर्पण किया है.
यूके, रसिया, यूरोप में सनातन धर्म का प्रचार प्रसार करने वाले आचार्य लोकनाथ गौड़ ने बताया कि यह सभी तीर्थयात्री पिंडदान करने जर्मनी से पहली बार गया पहुंचे हैं.
जर्मनी से एक ऐसी भी विदेशी महिला है जो सनातन धर्म से काफी प्रभावित हुई है. वह अपने पुत्र को खो चुकी है. पिंडदान के लिए अपने पति को इसके बारे में बताया लेकिन वह नशे में रहता है. महिला पुत्र मोह में गया पहुंचकर पिंडदान और तर्पण कर रही है.
बताया कि विदेशों में भी सनातन धर्म के प्रति लोगों की काफी आस्था है. यही कारण है कि इतनी संख्या में विदेशी श्रद्धालु गया जी आकर अपने पितरों का पिंडदान करते हैं.
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