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कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर सोनिया गांधी का 19 साल का ऐतिहासिक कार्यकाल समाप्त- पढ़ें उनकी बड़ी बातें

ABP News Bureau   |  16 Dec 2017 12:19 PM (IST)
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सोनिया गांधी ने कहा, जब मैंने पार्टी की कमान संभाली थी तब कांग्रेस की सिर्फ तीन राज्यों में सरकार थी. बाद में पार्टी ने दर्जनभर राज्य जीते.

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सोनिया गांधी ने कहा, आपने इस नेतृत्व के लिए राहुल को चुना है. राहुल मेरा बेटा है. उसकी तारीफ करना उचित नहीं लगता. बचपन में उसने अपार दुख झेला. राजनीति में आने पर उसने ऐसे व्यक्तिगत हमले झेले जिसने उसे और भी निडर इंसान बनाया. मुझे उसकी सहनशीलता और दृढ़ता पर गर्व है.

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सोनिया गांधी ने कहा, कई साल बाद जब मुझे महसूस हुआ कि कांग्रेस कमजोर हो रही है. उसके सामने कठिन चुनौतिया आ रही हैं तभी मुझे पार्टी के अन्य कार्यकर्ताओं की पुकार सुननी पड़ी. मुझे लगा कि इसे नकारने से इंदिरा जी और राजीव जी की आत्मा को ठेस पहुंचेगी. इसलिए देश के पति अपने कर्तव्य को समझते हुए मैं राजनीति में आई.

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सोनिया गांधी ने कहा, उन दिनों मैं राजनीति को एक अलग नजरिए से देखती थी. मैंने अपने आपको, पति और बच्चों को इससे दूर ही रखना चाहती थी. मगर मेरे पति के कंधो पर बड़ी जिम्मेदारी थी. उन्होंने अपना कर्तव्य समझकर पीएम का पद स्वीकार किया. उनके साथ मैंने देश के कोने-कोन तक दौरा किया. चुनौतियों को पहचाना. उसके बाद मेरे पति की भी हत्या हुई. मुझसे मेरा सहारा छिन गया.

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सोनिया गांधी ने कहा, मैं सोच नहीं पा रही थी कि मैं किस तरह इसे (कांग्रेस अध्यक्ष के पदभर को) संभालूंगी. मेरे सामने बहुत कठिन कर्तव्य था. तब तक राजनीति से मेरा नाता नीजि था. जब मैं इस परिवार में आई तो ये क्रांतिकारी परिवार था. इंदिरा जी इसी क्रांतिकारी परिवार की बेटी थीं. इस परिवार ने देश के लिए अपने पारिवारिक जीवन को त्याग दिया. उस परिवार का एक-एक सदस्य जेल जा चुका था. देश ही उनका मकसद था देश ही उनका जीवन था. इंदिरा जी ने मुझे बेटी की तरह अपनाया. 1984 में उनकी मौत हो गई. मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे कि मेरी मां मुझसे छिन ली गई.

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सोनिया गांधी आज कांग्रेस के अध्यक्ष पद के कार्यभार से मुक्त हो गईं. 19 साल तक पार्टी अध्यक्ष रहीं सोनिया ने अपने बेटे राहुल गांधी को पार्टी की कमान सौंपी है. इस दौरान उन्होंने कई बड़ी बातें कहीं. आगे की स्लाइड्स में पढ़ें सोनिया के बड़े बयान-

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सोनिया गांधी ने कहा, सत्ता, शोहरत और स्वार्थ मकसद नहीं है. देश मकसद है. देश के मूल भावना को बचाना मकसद है. आज देश के सामने बड़ी चुनौती है. हमारी संस्कृति पर वार हो रहा है. हर तरफ भय का माहौल बनाया जा रहा है. आज भी अगर अपने वसूलों पर खरे नहीं उतरेंगे तो देश की रक्षा नहीं कर पाएंगे. हम डरेंगे नहीं और झुकेंगे भी नहीं.

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