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फाइनल के ठीक पहले पाकिस्तानी कप्तान सरफराज़ के समर्थन में उतरे भारतीय क्रिकेट फैंस!!!

ABP News Bureau   |  16 Jun 2017 11:22 AM (IST)
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भारत-पाक के बीच ICC Champions Trophy 2017 का फाइनल किसी शानदार सपने के सच होने जैसा है. साल 2007 के टी20 विश्व कप के बाद ये दूसरा मौका है जब दोनों टीमें फाइनल में होंगीं. भारत-पाक के बीच इतने बड़े मुकाबले तो छोड़िए आम मैचों का खुमार भी फैंस के सर चढ़कर बोलता है. इस दीवानगी में कई बार दोनों देशों के फैंस अपने तमाम एक्शंस में हदें पार करते नज़र आते हैं. लेकिन इस उन्माद के माहौल के बीच जो हुआ है वो आपका दिल छू लेगा.

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पुरोहित पांडे लिखते हैं कि सरफराज़ ने अपनी कप्तानी पारी से अपने देश के लिए मैच जीता है. उन्हें भाषा को लेकर परेशान होने की ज़रूरत नहीं है. उन्हें हमेशा उर्दू में बात करनी चाहिए.

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ए जे ने लिखा है कि ये देखना अच्छा लग रहा है कि भारतीय उस देश के खिलाड़ी का समर्थन कर रहे हैं जिस देश से कई वजहों से नफरत की जाती है. वे सब सम्मान के हकदार हैं जो सही बात का समर्थन करते हैं. इंसानियत की जीत हुई है और अहंकार की हार.

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गौरव नाम के यूज़र ने बेहद उम्दा बात लिखते हुए कहा है कि किसी क्रिकेटर के लिए ये बड़ी बात नहीं है. इस बंदे ने कई अंग्रेज़ी बोलने वाले देशों के प्लेयर्स से बेहतर खेल दिखाया है. वे आगे लिखते हैं कि अंग्रेज़ी बोलने वाले खिलाड़ियों का अगर हिंदी में इंटरव्यू लिया जाए तो उन्हें समझ में भी नहीं आएगा.

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जॉय लिखते हैं कि अगर पाकिस्तानी खिलाड़ी अंग्रेज़ी नहीं बोल सकते तो क्या हुआ? दिग्गज फुटबॉलर मेस्सी और रूसी राष्ट्रपति पुतिन का उदाहरण देते हुए इन्होंने लिखा है कि ये लोग भी अंग्रेज़ी नहीं बोलते हैं.

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वहीं तपस पॉल नाम के यूज़र ने भी यही लिखा है कि अंग्रेज़ी को लोगों के स्टैंडर्ड को तय करने का पैमाना क्यों माना जाए. सरफराज़ का काम उनके देश के लिए खेलना और जीतना है. वे आगे लिकते हैं कि ख़राब अंग्रेज़ी की वजह से कोई एलियन नहीं हो जाता है.

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कुलदीप चौधरी नाम के एक फेसबुक यूज़र ने नीरज शर्मा जैसी ही राय व्यक्त की है. वे लिखते हैं कि अंग्रेज़ी किसी के इंटेलिजेंस को तय करने का पैमाना नहीं हो सकती.

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श्रीतम मिश्रा लिखते हैं कि वे भारतीय हैं और इस तरह की किसी हरकत का समर्थन नहीं करते. अगर सरफराज़ को अंग्रेज़ी नहीं आती तो क्या हुआ. वे आगे लिखते हैं कि सरफराज़ अपनी टीम को टूर्नामेंट में इतनी दूर तक ले गए. वे एक खिलाड़ी है, टीवी एंकर नहीं.

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दरअसल पाकिस्तान की टीम जब इंग्लैंड को हराकर फाइनल में पहुंची तो टीम के कप्तान सरफराज़ की अंग्रेज़ी को लेकर जमकर ट्रोलिंग हुई. पोस्ट मैच डिस्कशन में सरफराज़ ने जो बातें की थीं उसमें अंग्रेज़ी को लेकर उन्हें जो मशक्कत करनी पड़ी, कई ऑनलाइन यूज़र्स ने उसका जमकर मज़ाक उड़ाया. जो बात ठंडी हवा के झोंके जैसी राहत देती है वो ये है कि सरफराज़ के बचाव में भारतीय क्रिकेट फैंस कूद पड़े और उन्होंने एक दो फेसबुक कमेंट्स या ट्वीट नहीं किए बल्कि इसकी झड़ी लगा दी. यहां से पढ़ें भारतीय फैंस ने सरफराज़ के समर्थन में क्या कहा. नीरज शर्मा लिखते हैं कि वे सरफराज़ का मज़ाक नहीं बनाएंगे. सरफराज़ अच्छी हिंदी बोल सकते हैं. वे आगे लिखते हैं कि अंग्रेज़ी किसी के टैलेंट को तय करने का पैमाना नहीं हो सकती. खिलाड़ी के तौर पर सरफराज़ ने अपने देश के लिए बहुत अच्छा खेल दिखाया है.

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