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डोलने लगा दिल्ली का सिंघासन! मोदी-शाह को जब हुई टेंशन, चंद्रबाबू नायडू ने साउथ से पलट दिया पूरा गेम

एबीपी लाइव   |  31 Dec 2024 09:15 AM (IST)
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2024 में चंद्रबाबू नायडू ने एक साथ दो धमाके किए जिनसे पूरे देश में हलचल मच गई. 4 जून 2024 को लोकसभा और आंध्रप्रदेश विधानसभा चुनावों के नतीजे सामने आए, जिसमें टीडीपी ने 25 सीटों में से 16 सीटें जीतीं और विधानसभा चुनाव में 175 में से 135 सीटें जीतकर सबको चौंका दिया.

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विधानसभा चुनावों में शानदार जीत के बाद चंद्रबाबू नायडू के सामने मुख्यमंत्री की कुर्सी थी, वहीं केंद्र से भी उन्हें खास प्रस्ताव मिलने की संभावना थी. हालांकि लोकसभा चुनाव में बीजेपी बहुमत से दूर रह गई थी और उसे 32 और सांसदों की जरूरत थी ऐसे में चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार सरकार के अहम साथी बने.

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बीजेपी ने लोकसभा में 240 सीटें जीतीं, लेकिन बहुमत से दूर रही. चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार की टीडीपी और जेडीयू ने मोदी सरकार का साथ दिया. इसके साथ ही मोदी 3.0 सरकार इन दोनों पार्टियों के सहयोग से सशक्त रूप से चल रही है. ये बदलाव नायडू की रणनीतिक स्थिति को दर्शाता है.

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हाल ही में चंद्रबाबू नायडू उस समय चर्चा में आए, जब उन्होंने वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर केंद्र सरकार से अलग रुख अपनाया. उन्होंने कहा कि इस पर सभी पक्षों से चर्चा के बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा.

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जब केंद्र में नई मोदी सरकार बन रही थी तब मंत्रालयों के बंटवारे को लेकर चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार के बीच कई दौर की चर्चा हुई. इसके अलावा केंद्र सरकार की तरफ से आंध्र प्रदेश को मिलने वाले 15,000 करोड़ रुपये के स्पेशल पैकेज के बारे में भी सवाल उठे थे. इन मुद्दों पर नायडू का अलग रुख पार्टी की राजनीतिक ताकत को और मजबूत करता है.

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ये घटना बहुत पुरानी नहीं है, जब 2019 में अमित शाह ने ये कह दिया था कि एनडीए के दरवाजे चंद्रबाबू नायडू के लिए हमेशा के लिए बंद हो गए हैं. उस समय नायडू दिल्ली गए थे और अमित शाह से मिलने का इंतजार कर रहे थे, लेकिन उन्हें मिलने का समय नहीं मिला. ये एक ऐसा मोड़ था जहां चंद्रबाबू नायडू और बीजेपी के बीच दूरी बढ़ गई थी.

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आज वही चंद्रबाबू नायडू हैं, जिनके लिए बीजेपी रेड कार्पेट बिछाती है. ये बदलाव दर्शाता है कि एक साल में उनकी और उनकी पार्टी की किस्मत कैसे पलटी. आज नायडू की राजनीतिक स्थिति इतनी मजबूत हो गई है कि वह दिल्ली में बैठी केंद्र सरकार को हिला सकते हैं. उनकी रणनीतियों और कुशल नेतृत्व का परिणाम आज सामने है.

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