विपक्ष को डिप्टी स्पीकर का पद क्यों नहीं देना चाहती बीजेपी? वरिष्ठ पत्रकार ने बता दी असली वजह
जिस्ट के न्यूज एडिटर राहुल श्रीवास्तव ने कहा कि मैं ये अभी भी कहूंगा कि ये बहुत मुश्किल होगा, क्योंकि नरेंद्र मोदी सरकार की जो लीडरशिप है वो इस बार बहुमत के साथ नही आई है. जिसके चलते बीजेपी के साथ काफी कारण बनें रहेंगे.
वरिष्ठ पत्रकार राहुल श्रीवास्तव ने कहा कि अगर आप आर्टिकल 95 देखें जो संविधान के तहत स्पीकर और डिप्टी स्पीकर को पावर देता है. इस पोस्ट के चुनाव का जो प्रोसेस है वो संसद तय करता है. स्पीकर का पद खाली होने पर या स्पीकर के सदन में मौजूद न होने पर डिप्टी स्पीकर ही सदन के अध्यक्ष की जिम्मेदारियों को पूरा करता है.
राहुल श्रीवास्तव ने कहा कि स्पीकर के आदेश को डिप्टी स्पीकर नहीं काट सकता. मान लीजिए आज डिप्टी स्पीकर विपक्ष का हो और जैसे विपक्ष ने पिछले 5 से 10 सालों में स्थगन प्रस्ताव पेश किए. जिसमें बहस मतदान के बाद ख़त्म होनी चाहिए थी. ऐसी स्थिति में डिप्टी स्पीकर तालमेल रखता है.
उन्होंने कहा कि अगर सरकार को अपने नंबरों का खतरा हो तो क्या आपको लगता है कि जब स्पीकर उसको नहीं कर पाएगा तो उसमें विवाद हो जाएगा. उन्होंने आगे कहा कि ऐसी स्थिति में डिप्टी स्पीकर वो स्पीकर से तालमेल बनाए रखता है.
उन्होंने कहा कि मैंने 29 साल तक संसद को कवर किया है. मैंने आज तक नहीं देखा कि स्पीकर और डिप्टी स्पीकर में कोई अंतर्विरोध हुआ हो. मगर, आज की राजनीति ऐसी है कि ना तो आप स्पीकर के आचरण पर कह सकते हैं और न ही डिप्टी स्पीकर के.
राहुल श्रीवास्तव ने कहा कि ऐसे में जब विश्वास का मामला आ जाता है तो उसमें विपक्ष को डिप्टी स्पीकर को पोस्ट मिलने की संभावना बहुत ही न के बराबर नहीं दिख रही है. इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि डिप्टी स्पीकर की नियुक्ति हो भी सकती है.
संविधान का अनुच्छेद 93 कहता है कि डिप्टी स्पीकर का चयन होना ही चाहिए. सदन के दो सदस्यों का चयन स्पीकर और डिप्टी स्पीकर के रूप में होना संविधान के अनुसार अनिवार्य है. वहीं, संविधान के अनुच्छेद 95 के अनुसार, डिप्टी स्पीकर लोकसभा अध्यक्ष की अनुपस्थिति में उनकी ज़िम्मेदारियों का निर्वहन करता है. अगर डिप्टी स्पीकर का पद ख़ाली रहा तो उस स्थिति में राष्ट्रपति लोकसभा के एक सांसद को ये काम करने के लिए चुनते हैं.