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Photos: निजामुद्दीन दरगाह पर दिखा बसंतोत्सव का रंग, मज़ार पर चढ़ाई गई पीली चादर
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अमीर खुसरो को ये बात जानकर अच्छा लगा और उन्होंने भी पीले रंग का कपड़ा पहना और गाते हुए निजामुद्दीन औलिया के पास पहुंच गए. उनकी भेषभूसा देखकर निजामुद्दीन औलिया खूब हंसे. इसी के बाद से बसंत पंचमी उनके यहां मनाए जाने लगा.
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इसी दौरान उनके मुरीद आमिर खुशरों ने देखा कि कुछ महिलाएं पीले रंग का वस्त्र पहनकर और पीले फूल लेकर जा रही हैं. उन्होंने तुरंत इसके पीछे का कारण जाना तो मालूम हुआ कि हिन्दू महिलाएं बसंत पंचमी मना रही हैं. इस दिन पीले रंग का महत्व होता है. अपने अराध्य को रिझाने के लिए वह पीले रंग का फूल इस दिन अर्पित करते हैं.
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सूफी संत हजरत ख्वाजा निजामुद्दीन औलिया की दरगाह पर बसंत पंचमी मनाने का किस्सा काफी दिलचस्प है. दरअसल निजामुद्दीन औलिया के भांजे की अचानक कम उम्र में मृत्यु हो गई. भांजे की मृत्यु से निजामुद्दीन औलिया को काफी सदमा लगा. इस दौरान वह इतने दुखी हुए कि किसी से मिल नहीं रहे थे.
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बता दें कि यह कोई नई बात नहीं. ऐसा हजरत ख्वाजा निजामुद्दीन औलिया के जीवन काल से ही हो रहा है. यह दिन हिन्दुस्तान में हिन्दू-मुस्लिम एकता और भाईचारे को बढ़ावा देता है.
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हर वर्ष माघ माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी को विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है. इस दिन को बसंत पचंमी के नाम से भी जाना जाता है. बसंत पंचमी के त्योहार के साथ ही बसंत के मौसम की शुरुआत होती है. हिंदुस्तान के प्रसिद्ध सूफी संत हजरत ख्वाजा निजामुद्दीन औलिया की दरगाह पर भी हर साल की तरह इस साल भी बसंत पंचमी का उत्सव देखने को मिला.
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