सफेद टीशर्ट पहने बिहार की सड़कों पर राहुल गांधी, साथ में हजारों की भीड़, देखें पलायन रोको यात्रा की तस्वीरें
राहुल गांधी ने 7 अप्रैल 2025 को बिहार के बेगूसराय जिले में चल रही 'पलायन रोको, नौकरी दो' पदयात्रा में हिस्सा लिया. यह पदयात्रा राज्य के युवाओं के मुद्दों को उठाने के लिए निकाली जा रही है. यह पदयात्रा NSUI के राष्ट्रीय प्रभारी कन्हैया कुमार द्वारा लीड की जा रही है. कन्हैया ने यात्रा की शुरुआत पिछले महीने पश्चिम चंपारण जिले के भितिहारवा आश्रम से की थी और अब यात्रा बेगूसराय पहुंची है.
राहुल गांधी ने पदयात्रा में भाग लेते हुए बिहार के युवाओं को बेरोजगारी, महंगाई, सरकारी नौकरियों में कमी और शिक्षा की घटती गुणवत्ता जैसे मुद्दों पर जागरूक किया.
राहुल गांधी ने युवाओं से अपील की कि वे सफेद टी-शर्ट पहनकर पदयात्रा में शामिल हों. यह कदम बिहार के युवाओं की संघर्ष और पीड़ा को दुनिया के सामने लाने के लिए था. राहुल गांधी ने इस मौके पर कहा, 'हम बिहार को एक अवसरों वाला राज्य बनाना चाहते हैं.' उन्होंने युवाओं को एकजुट होने और राजनीतिक बदलाव लाने की अपील की.
बेगूसराय कन्हैया कुमार का गृह जिला है. कन्हैया ने अपनी राजनीति की शुरुआत यहीं से की थी और साल 2019 में इसी सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा था, हालांकि उन्हें भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार गिरिराज सिंह से हार का सामना करना पड़ा था.
कांग्रेस पार्टी के सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी का बेगूसराय में शामिल होना महत्त्वपूर्ण था क्योंकि यह कन्हैया कुमार के गृह जिले में हो रहा था. यह कांग्रेस और कन्हैया के बीच एक राजनीतिक गठबंधन का संकेत हो सकता है.
कांग्रेस पार्टी का मुख्य फोकस युवाओं की समस्याओं पर है, खासकर बेरोजगारी, शिक्षा और पलायन. पार्टी नेताओं का मानना है कि राहुल गांधी का इस पदयात्रा में हिस्सा लेना कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाएगा. राहुल गांधी के बिहार दौरे में वे बेगूसराय की पदयात्रा के अलावा पटना में संविधान बचाने पर एक सम्मेलन में भी शामिल हुए. इसके साथ ही, वे पार्टी मुख्यालय में कार्यकर्ताओं से भी मिले.
कन्हैया कुमार के आगामी चुनावों में उम्मीदवार बनने के बारे में अभी तक कोई स्पष्ट जानकारी नहीं आई है. हालांकि, कई कांग्रेसी नेताओं का कहना है कि अगर इंडिया गठबंधन की सरकार बनती है, तो कन्हैया को बिहार के उपमुख्यमंत्री के रूप में देखा जा सकता है.
यह कदम कांग्रेस पार्टी के लिए बिहार में अपना आधार मजबूत करने और राज्य के युवा वोटरों को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश माना जा रहा है.