Farmers Protest: आंदोलन के एक साल पूरे होने पर लगा किसानों का जमावड़ा, कल SKM की अहम बैठक
One Year of Farmers Protest: कृषि कानूनों की वापसी के बाद सरकार ये मान कर चल रही थी कि किसानों की घर वापसी भी हो जाएगी लेकिन हुआ इसके ठीक उलट. किसान आंदोलन के एक साल पूरा होने के मौके पर आज देश भर से किसान अपने-अपने पुराने मोर्चों पर वापस लौटे. अपने नेताओं को ये भरोसा देने कि MSP गारंटी कानून के लिए भी वो तैयार हैं.
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View In Appदिल्ली, पंजाब और हरियाणा में कई जगहों पर किसान इकठ्ठा हुए. सिंघु बॉर्डर,गाजीपुर बॉर्डर, सोनीपत,बहादुरगढ़ में किसानों ने बड़ी संख्या में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई. किसान नेताओं को लगने लगा है कि जब कृषि कानून पर सरकार झुक सकती है, तो MSP गारंटी कानून के लिए उसे थोड़ा और झुकाया जा सकता है.
कई लोग अपनी ट्रैक्टर-ट्रॉलियों पर सब्जियां, आटे और दाल के बोरे, मसाले और खाना पकाने का तेल साथ लाए हैं. उन्होंने कहा कि वे लंबी लड़ाई के लिए तैयार हैं. पश्चिमी उत्तर प्रदेश का एक प्रभावशाली किसान संगठन भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) पिछले साल नवंबर से गाजीपुर सीमा पर मोर्चा संभाल रहा है.
राकेश टिकैत ने एबीपी न्यूज से बात करते हुए कहा कि अभी मंजिल और बाकि है. सरकार को एमएसपी पर गारंटी देनी पड़ेगी. जब तक संसद का सत्र चलेगा तब तक सरकार के पास सोचने और समझने का समय है. आगे आंदोलन कैसे चलाना है उसका फ़ैसला हम संसद चलने पर लेंगे. वहीं योगेंद्र यादव ने कहा कि हमें वो गिफ्ट दे दो जो हम मांग रहे हैं. एमएसपी का कानून दे दीजिए.
किसान भले ही MSP पर कानून पास करने की मांग पर अड़े हों, लेकिन सरकार को ये पता है कि MSP लागू होने से सरकारी खजाने पर एक बहुत बड़ा भार पड़ेगा. जानकारों का मानना है कि सभी 23 फसलों पर MSP कानून बनाने से बाजार का संतुलन बिगड़ जाएगा. जिससे महंगाई बढ़ेगी और फसलों का निर्यात भी कम हो जाएगा.
MSP का समर्थन करने वाले किसानों और आर्थिक जानकारों के अपने तर्क हैं. उनका कहना है किसानों की संख्या करीब 60 करोड़ है, अगर सरकार इन सबकी फसलें MSP पर खरीदे, तो उनके हाथों में पैसा जाएगा, जिससे उनकी खरीदने की क्षमता बढ़ेगी और आखिर में ये पैसा जीडीपी बढ़ाने के काम आएगा.
एमएसपी पर किसानों और सरकार के बीच जारी तकरार के बीच किसानों ने 29 नवंबर को संसद कूच का ऐलान किया है. इस बीच कल संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) की अहम बैठक है. अब कल ही तय होगा कि आंदोलन की आगे की दिशा क्या होगी?
किसानों के एलान को देखते हुए दिल्ली में सुरक्षा बढ़ा दी गई है. सरकार भी किसानों की मांग को लेकर सतर्क है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को कृषि कानून वापस लेने का एलान किया था. अब बिल को 29 नवंबर को संसद के शीताकालीन सत्र के पहले दिन पेश किया जाएगा.
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