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Subhash Chandra Bose की याद में अंडमान निकोबार में बनाया गया 'संकल्प-स्मारक', खास मौके पर हुआ उद्घाटन

नीरज राजपूत, एबीपी न्यूज़   |  29 Dec 2021 07:58 PM (IST)
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Subhash Chandra Bose Sankalp Smarak: महान स्वतंत्रता सेनानी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस के भारत में पहली बार तिरंगा फहराने के दौरान अंडमान निकोबार द्वीप में लैंड करने वाली जगह पर एक खास 'संकल्प-स्मारक' तैयार किया गया है. इस स्मारक का उद्घाटन 73 साल बाद ठीक उसी दिन दिन किया गया जब सुभाष चंद्र बोस ने एक प्लेन से अंडमान निकोबार की राजधानी पोर्ट-ब्लेयर के रनवे पर अपने पांव रखे थे. ये दिन था 29 दिसम्बर 1943.

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देश की पहली और एक मात्र ट्राइ-सर्विस कमान, अंडमान निकोबार कमांड ने सुभाष चंद्र बोस के स्वतंत्रता संग्राम में अहम योगदान के लिए पोर्ट ब्लेयर एयरपोर्ट पर ठीक उसी रनवे के करीब सकंल्प स्मारक तैयार किया है जहां नेताजी के प्लेन ने लैंड किया था. अंडमान कमान के कमांडिंग इन चीफ, लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार ने बुधवार को इस स्मारक का उदघाटन किया. इस स्मारक का ध्येय-वाक्य है निष्ठा, कर्तव्य और बलिदान.

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स्मारक के उद्घाटन समारोह में बोलते हुए अंडमान निकोबार कमान के कमांडर ने नेताजी और आजाद हिंद फौज के वीर सैनिकों को याद किया और अपने श्रद्धा-सुमन अर्पित किए.

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द्वितीय विश्वयुद्ध (1942-45) के दौरान जापान ने अंडमान निकोबार द्वीप को अंग्रेजों से जीतकर नेताजी और उनकी सेना, आजाद हिंद फौज को सौंप दिया था. नेताजी ने सबसे पहले इस द्वीप को ब्रिटिश शासन से आजाद घोषित किया था. सुभाष चंद्र बोस 29 दिसम्बर 1943 को जब पोर्ट ब्लेयर पहुंचे थे तो सबसे पहले तिरंगा अंडमान के रोस-आईलैंड (अब 'नेताजी आईलैंड') पर ही लहराया था.

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नेताजी ने इस दौरान सेलयुलर जेल का दौरा कर वहां बंद स्वतंत्रता सेनानियों से भी मुलाकात की थी. नेताजी ने अंडमान का नाम बदलकर 'शहीद' और निकोबार का नाम बदलकर 'स्वराज' कर दिया था. हालांकि, महायुद्ध में बाद में जापान की हार के कारण अंग्रेजों ने एक बार सामरिक महत्व के इस द्वीपों के समूह पर अपना कब्जा जमा लिया था.

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आजादी के बाद देश की पहली ट्राइ-सर्विस यानी थलसेना, वायुसेना और नौसेना की संयुक्त कमान, अंडमान निकोबार में स्थापित की गई थी--अंडमान निकोबार कमान यानी एएनसी.

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पोर्ट ब्लेयर एयरपोर्ट के जिस हिस्से में संकल्प स्मारक बनाया गया है वो अब भारतीय नौसेना (और ट्राइ-सर्विस कमान) के आईएनएस उत्क्रोष के अधीन है. जिस रनवे पर नेताजी का प्लेन लैंड किया था वो अब पुरानी पड़ चुकी है.

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उसकी जगह अब पोर्ट ब्लेयर एयरपोर्ट पर एक नया रनवे तैयार हो गया है, जिसे सिविल आवागमन के लिए इस्तेमाल किया जाता है.

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