Agniveer Scheme: अग्निवीर योजना पर पूर्व नौसेना प्रमुख ने उठाए सवाल, बोले- इससे युद्ध में भारतीय सेना...
पूर्व भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने भारत की नई रक्षा नीति अग्निवीर पर सवाल खड़े कर दिए हैं. उनका कहना है कि अग्निपथ योजना सेना की युद्ध प्रभावशीलता को कम करेगी. इस योजना के पीछे का एकमात्र उद्देश्य बस पेंशन बिल को कम करना है. करमबीर सिंह ने बात सेवानिवृत्त नौसेना प्रमुख अरुण प्रकाश के ट्वीट का जवाब देते हुए कही.
सेवानिवृत्त नौसेना प्रमुख अरुण प्रकाश ने एक्स पर पोस्ट करते अग्निवीर योजना को लेकर एक कॉलम लिखा था. उन्होंने कहा था कि सेना में किसी भी बदलाव के लिए एकमात्र लिटमस टेस्ट यह होना चाहिए कि क्या ये युद्ध प्रभावशीलता को बढ़ाता है या कम करता है? अरुण प्रकाश ने ये भी लिखा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अर्थशास्त्र को पीछे छोड़ दिया जाता है. बस इसी को लेकर केबी सिंह ने कहा कि वह अरुण प्रकाश से पूरी तरह सहमत हैं.
अरुण प्रकाश ने पोस्ट में ये भी कहा था कि अग्निपथ योजना ने लड़ाकू यूनिट्स पर भारी परिचालन बाधाएं डाल दी हैं. इसको लेकर सेवानिवृत्त मेजर जनरल कुलदीप सिंधु भी उनसे सहमत दिखे. उन्होंने ने कहा कि इससे उनको दो प्रतिष्ठित अमेरिकी सीनेटरों के भाषणों की याद आ गया, जिसमें उन्होंने कहा था कि यदि हम अपनी सेना को उचित रूप से सुसज्जित और भुगतान करने में सक्षम नहीं हैं, तो उन्हें युद्ध में न भेजें.
इसे लेकर सुरक्षा विश्लेषक और थिंक टैंक ORF के वरिष्ठ फेलो सुशांत सरीन ने कहा कि अग्निपथ के साथ गंभीर मुद्दे हैं, लेकिन भारत पेंशन पर भारी मात्रा में खर्च नहीं कर सकता है. उन्होंने कहा अर्थव्यवस्था को राष्ट्रीय सुरक्षा से पूरी तरह से अलग नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि अग्निपथ के मुद्दे गंभीर है, लेकिन हम पेंशन पर भारी मात्रा में खर्च नहीं कर सकते हैं जो राज्य को दिवालिया बना देगा.
जून 2022 में शुरू की गई अग्निपथ योजना के तहत युवा चार साल के लिए सशस्त्र बलों में सेवा करने कर सकते हैं. इस योजना के अंतर्गत चार साल की सर्विस के बाद 25 प्रतिशत जवानों को सेना में बनाए रखा जाएगा और बाकी 75 प्रतिशत वापस चले जाएंगे. उन्हें ग्रेच्युटी और पेंशन संबंधी लाभों का कोई अधिकार नहीं होगा.
वहीं सरकार का कहना है कि ये योजना सशस्त्र बलों की युवा प्रोफाइल को और मजबूत और तकनीक-प्रेमी सेना की ओर एक बदलाव लाने के लिए लाई गई है. कुछ लोगों ने तर्क दिया है कि ये योजना पेंशन बिलों को बचाने के लिए किया गया है. बता दें कि इस योजना में पेंशन का कोई प्रावधान नहीं है, लेकिन अग्निवीरों को भारतीय सेना में नियुक्ति अवधि के दौरान 48 लाख रुपये का गैर-योगदान बीमा कवर प्रदान किया जाएगा.
इस योजना की आलोचना कर रहे लोग और विपक्षी दलों का कहना है कि उनके सत्ता में आते ही वह इस योजना को खत्म कर देंगे क्योंकि इस योजना में कमी ये है कि इसमें सैनिकों के प्रशिक्षण के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया जाता है.