Dronagiri Hanuman Story: बजरंग बली से क्यों नाराज हैं भारत के इस गांव के लोग, जानें क्यों नहीं करते उनकी पूजा?
कहानी रामायण काल से जुड़ी है. जब लंका युद्ध के दौरान लक्ष्मण घायल हुए, तो हनुमान जी को हिमालय से संजीवनी बूटी लाने भेजा गया. कहा जाता है कि बूटी इसी इलाके के पर्वत पर थी. हनुमान जी जब सही पौधा पहचान नहीं पाए, तो पूरा पर्वत ही उठा ले गए.
भारत में यह कथा हनुमान जी की शक्ति और भक्ति का प्रतीक मानी जाती है, लेकिन द्रोणगिरी के लोग इसे अलग तरह से याद करते हैं. उनका मानना है कि हनुमान जी ने उनका पवित्र पर्वत तोड़कर देवी शक्ति वाली भूमि को नुकसान पहुंचाया.
इसी वजह से यहां हनुमान जी की पूजा नहीं होती. गांव में न उनके मंदिर हैं, न घरों में तस्वीरें. कहा जाता है कि पहले जो भी उनकी पूजा करता था, उसे समाज से अलग कर दिया जाता था.
यह किसी दुश्मनी से नहीं, बल्कि अपने पवित्र पर्वत के प्रति आस्था के कारण किया जाता था. आज भी बुजुर्गों की मान्यता है कि उनका देवता कोई आकाशीय शक्ति नहीं, बल्कि उनके सामने खड़ा द्रोणगिरी पर्वत ही है.
यह इलाका औषधीय पौधों से भरपूर है. यहां मिलने वाली कटुकी जैसी जड़ी-बूटियों का प्रयोग लोग आज भी घरेलू इलाज में करते हैं. संजीवनी बूटी की कहानी ने इस इलाके को और भी रहस्यमय बना दिया है.
इस पूरे इलाके में कई वैज्ञानिक यहां शोध कर चुके हैं, लेकिन अब तक यह साफ नहीं हो सका कि असली संजीवनी बूटी कौन-सी है.
फिर भी, लोगों का विश्वास है कि इस भूमि का रहस्य किसी एक पौधे में नहीं, बल्कि इसके जलवायु, ऊंचाई और आस्था में छिपा है. शायद यही वजह है कि द्रोणगिरी आज भी अपनी परंपरा और रहस्य के साथ वैसे ही जीवित है.