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1000 साल से भी ज्यादा पुरानी हैं भारत की ये अद्भुत इमारतें, आज भी बरकरार है इनकी खूबसूरती

कविता गाडरी   |  11 Nov 2025 08:45 AM (IST)
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सांची स्तूप जिसे मौर्य सम्राट अशोक ने तीसरी शताब्दी में बनवाया था. यह दुनिया के सबसे पुराने और प्रसिद्ध बौद्ध स्मारकों में से एक है. यह विशाल गुंबद बुद्ध के अवशेष को संजोए हुए हैं और इसके चारों दिशाओं में बने खूबसूरत तोरण पत्थर की अद्भुत नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है.

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महाबलीपुरम तमिलनाडु में स्थित शोर मंदिर भी भारत की उन ऐतिहासिक इमारतों में शामिल है जो 1000 साल से मजबूती के साथ खड़ी है. आठवीं शताब्दी में पल्लव राजा नरसिंहवर्मन द्वितीय ने शोर मंदिर का निर्माण करवाया था. बंगाल की खाड़ी के किनारे स्थित यह मंदिर द्रविड़ शैली की प्राचीन वास्तुकला का बेहतरीन उदाहरण माना जाता है.

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एलोरा की गुफाओं में स्थित कैलासा मंदिर आठवीं शताब्दी में बनवाया गया था. इसे एक ही चट्टान को तराश कर ऊपर से नीचे की ओर बनाया गया था. भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर आज भी अपने रहस्य और कला के लिए दुनिया भर में जाना जाता है..

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950 से 1050 ई के बीच चंदेला वंश की तरफ से बनवाए गए खजुराहो समूह के मंदिर अपनी अद्भुत मूर्ति कला और शिल्प कला के लिए जाने जाते हैं. यहां की नक्काशी में देवी-देवताओं, नृत्य कला और जीवन के विविध पहलुओं की बड़ी कलात्मक को दर्शाया गया है.

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वहीं तीसरी शताब्दी में अशोक सम्राट के शासनकाल में बनी बाराबर की गुफाएं भारत के सबसे पुरानी शिला-खोदित संरचनाओं में गिनी जाती है. यह गुफाएं ठोस ग्रेनाइट से बनी है, जिसकी दीवारें आज भी शीशे जैसी चमकती है.

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तमिलनाडु का बृहदेश्वर मंदिर राजराजा चोल प्रथम ने 1010 ईस्वी में बनवाया था. यह मंदिर पूरी तरह ग्रेनाइट से बना हुआ है. 200 फीट ऊंचा यह विशाल मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसके शीर्ष पर एक ही पत्थर से बनी 80 टन वजनी शिला रखी गई है.

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11वीं शताब्दी में बनाए गए लिंगराज मंदिर को भगवान शिव को समर्पित किया गया है. कलिंग शैली में बनाया गया यह मंदिर लगभग 180 फीट ऊंचा है और उसके चारों ओर कई छोटे-छोटे मंदिर भी बने हुए हैं.

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1250 ईस्वी में कोणार्क के सूर्य मंदिर को पूर्वी गंगा वंश के राजा नरसिंह देव प्रथम ने बनवाया था. यह मंदिर सूर्य देव को समर्पित है और विशाल रथ के आकार में बना है. जिसमें सात घोड़े और 24 पहिए है.

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कर्नाटक में स्थित विरुपाक्ष मंदिर सातवीं शताब्दी में बनवाया गया है. इस मंदिर को भगवान शिव को समर्पित किया गया है. यह मंदिर हम्पी की सबसे प्राचीन संरचनाओं में से एक है. इसका ऊंचा गोपुरम, नक्काशीदार खंभे और भित्ति चित्र आज भी विजयनगर सम्राट की समृद्धि की झलक दिखाते हैं.

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