कैलास पर्वत से लेकर गोवर्धन तक भारत के 5 पवित्र पहाड़, जहां बसती है आस्था और शक्ति!
दुनिया में कुछ ऐसे पर्वत हैं, जो मनुष्य के फतह करने के लिए नहीं बने हैं. उनका अस्तित्व सम्मान और भक्ति भाव के लिए है. कैलास पर्वत इस बात का उदाहरण हैं. इसलिए नहीं कि ये ऊंचे और चढ़ाई करने में कठिन हैं, बल्कि इसलिए क्योंकि यह पवित्र माना जाता है. इसे भगवान शिव का निवास स्थान भी कहा जाता है. इस पर्वत पर आज तक कोई नहीं चढ़ा है. कैलास पर्वत पर चढ़ने की बजाए इसकी 52 किलो मीटर की परिक्रमा की जाती है, जिसे कोरा रस्म कहा जाता है.
वृंदावन स्थित गोवर्धन पर्वत जो दिखने में साधारण और छोटा सा हैं, लेकिन इसकी भव्यता और महात्मय पौराणिक कहानियों को समेटे हुए है. जब इंद्र के क्रोध से पूरा वृंदावन वन पानी में डूब गया, तब भगवान श्री कृष्ण ने अपनी छोटी सी उंगली पर इसे उठाकर सात दिनों तक मूसलाधार बारिस से ब्रजवासियों की रक्षा की थी. आज भी यहां आने वाले तीर्थयात्री नंगे पैर गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते हैं.
जम्मू के कटरा स्थित त्रिकुटा का पर्वत आज भी आस्था और भक्ति का जीवित उदाहरण हैं. इस पर्वत पर मां वैष्णो देवी समेत कई देवी-देवता विराजमान हैं. मां वैष्णो देवी की गुफा त्रिकुटा पर्वत पर स्थित है. यहां आने वाले भक्त 12 किलो मीटर की कठिन चढ़ाई करके मां वैष्णो रानी के दर्शन करते हैं. यहां मौन में भी मां की शक्तियों का एहसास होता है.
हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में पार्वती घाटी वह स्थान है, जहां भगवान शिव ने युगों-युगों तक ध्यान किया था. यह जगह जितनी शांत हैं उतनी ही सौम्य भी, ध्यान और मेडिटेशन करने के लिए ये जगह काफी पसंद की जाती है.
तिरुवनमलाई का अरुणाचला पर्वत यह शिव का प्रतीक नहीं, बल्कि खुद शिव है. रमण महर्षि जैसे साधु संत इस जगह कभी रहा करते थे. तीर्थयात्री इसकी परिक्रमा करते हैं. यहां आज भी सच्चे मन से शिव की शक्तियों को महसूस किया जा सकता है.