योगी प्याज और लहसुन के सेवन से क्यों करते हैं परहेज? जानिए इसका आध्यात्मिक कारण
हिंदू वैदिक ग्रंथों और आयुर्वेद में योगी और ऋषि पारंपरिक रूप प्याज और लहसुन को परहेज करते आ रहे हैं, क्योंकि इससे मन, शरीर और आध्यात्मिक ऊर्जा पर प्रभाव पड़ता है. खाद्य पदार्थों को तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है, जिसमें सात्विक (शुद्ध, संतुलित), राजसिक (उत्तेजक) और तामसिक (मंद) है.
प्याज और लहसुन को राजसिक और तामसिक श्रेणी में रखा गया है. राजसिक भोजन बेचैनी, आक्रामकता और वासनाओं को बढ़ाने का काम करता है. जबकि तामसिक सुस्ती, आलस्य और अज्ञानता को बढ़ाता है. इसी कारण योगी सात्विक भोजन पसंद करते हैं.
लहसुन और प्याज तंत्रिका तंत्र तो उत्तेजिक करते हैं और मानसिक शांति को अस्थिर कर सकते हैं. ये यौन ऊर्जा, गुस्सा और बेचैनी को बढ़ाते हैं, जो ध्यान और ब्रह्मचर्य में बाधा डाल सकते हैं. योगी एक सूक्ष्म, ध्यानपूर्ण अवस्था की प्राप्ति के लिए उत्तेजक भोजन से दूर ही रहते हैं.
प्याज और लहसुन प्राणशक्ति को कमजोर बनाने का काम करती है. इसके अलावा ये आभामंडल को भारी बनाती है, जबकि सात्विक भोजन ऊर्जा और स्पष्टता को बढ़ाने का काम करता है.
कई धार्मिक ग्रंथों (मनुस्मृति, आयुर्वेद ग्रंथ और योगिक नियमावली) में आध्यात्मिक साधना, पूजा और उपवास के दौरान प्याज और लहसुन का सेवन न करने की सलाह दी जाती है. इसलिए आज भी मंदिरों या आश्रमों में प्रसाद बनाने के लिए प्याज और लहसुन का इस्तेमाल नहीं किया जाता है.