शनि देव क्यों हुए लंगड़े? जानिए पौराणिक कथा और पीपल पूजा का रहस्य!
शनि देव भगवान सूर्य और देवी छाया के पुत्र हैं, जिन्हें न्याय और कर्म प्रधान देवता भी कहा जाता है. वे जातक को उसे कर्मों के हिसाब से फल प्रदान करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं एक श्राप के कारण शनि देव लगड़े हो गए थे.
क्या आपको पता है कि शनिदेव लंगड़ा कर क्यों चलते हैं और हिंदू धर्म में पीपल के पेड़ की पूजा क्यों की जाती है? इसके पीछे एक पौराणिक कथा है. पौराणिक कथाओं के मुताबिक महर्षि दधीचि के देह त्याग के बाद उनकी पत्नी भी सती हो गई. उन्होंने अपने तीन साल के पुत्र को पीपल के पेड़ के कोटर में रख दिया था.
वह बालक पीपल के फल खाकर ही जीवित रहा. एक दिन वहां से देवर्षि नारद गुजरे. उन्होंने बालक को बताया कि तुम महान दानी महर्षि दधीचि के पुत्र हो और तुम्हारे माता पिता की मृत्यु का कारण शनिदेव की महादशा थी. यह सुनकर बालक ने और तपस्या करके ब्रह्मा जी से किसी को भी भस्म कर देने की शक्ति मांग ली.
शक्ति मिलते ही उसने शनिदेव को बुलाकर भस्म करना शुरू कर दिया. ब्रह्मांड में हाहाकार मच गया. ब्रह्मा जी के कहने पर बालक दो शर्तों पर माना. पहला, किस भी बच्चे के जन्म से 5 साल तक शनि का प्रभाव नहीं पड़ेगा. दूसरा, सूर्योदय से पहले पीपल पर जल चढ़ाने वाले पर शनि की महादशा का असर नहीं होगा.
ब्रह्मा जी ने तथास्तु कहा, तब उस बालक जिनका नाम पिप्पलाद पड़ा. उसने शनिदेव को छोड़ा लेकिन ब्रह्मदंड के प्रहार से शनिदेव के पैर क्षतिग्रस्त हो गए और वे धीमे चलने लगे. इसीलिए उन्हें शनैश्चर कहा जाता है.