Ganesh Chaturthi 2022 Date: गणेश जी को क्यों प्रिय है दूर्वा घास? जानें इसको चढ़ानें का नियम और मंत्र
गणेश चतुर्थी पर गणपति को स्थापित करने के बाद विधिवत उनकी पूजा करें. विघ्यहर्ता को दूर्वा बहुत प्रिय है. मान्यता है कि दूर्वा चढ़ाने से भगवान गणेश जल्दी प्रसन्न होते हैं और सभी मनोकामना पूर्ण करते हैं. दूर्वा एक प्रकार की घास होती है, जिसे दूब, अमृता, अनंता, महौषधि भी कहा जाता है.
गणेश जी को दूर्वा चढ़ाने के नियम - भगवान गणेश को अर्पित करने वाली दूब साफ जगह यानी कि मंदिर, बगीचे से तोड़ें. इसे स्वस्छ जल जरूर धो लें. गणेश जी को हमेशा जोड़े से दूर्वा चढ़ाई जाती है.
11 या 21 दूर्वा का जोड़ा बनाकर गणेश चतुर्थी पर बप्पा को अर्पित करें. दूर्वा चढ़ात वक्त ऊँ उमापुत्राय नमः, ऊँएकदन्ताय नमः मंत्र का जाप करें.
क्यों चढ़ाई जाती गणपति को दूर्वा ? - पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीनकाल में अनलासुर नामक दैत्य था. स्वर्ग से लेकर धरती तक उसका आतंक था. ऋषि, मुनि, देवी-देवता, आम मनुष्य सभी उससे परेशान हो चुके थे. जो भी उसके सामने जाता वो उसे निगल लेता था
अनलासुर से बचने के लिए सभी गणेश जी की शरण में गए. गणपति को अनलासुर के बीच भयंकर युद्ध हुआ और भगवान गणेश ने दैत्य को निगल लिया. इसके बाद गणपति के पेट में बहुत जलन होने लगी. गणपति की असहनीय जलन को मिटाने के लिए दूर्वा घास की 21 गांठ खिला दी गई, तब जाकर उनकी जलन शांत हुई. मान्यता है इसी के बाद से गणपति को दूर्वा चढ़ाने की परंपरा शुरु हुई. इससे वो बेहद खुश होते हैं.