प्राचीन भारत में पतियों के 7 प्रकार, जानिए आप आपका पति किस श्रेणी में आता है? देखें फोटो
प्राचीन भारत में पतियों को उनके व्यवहार और रवैये के आधार पर 7 अलग-अलग वर्गों में बांटा गया था. इन तमाम वर्गों के बारे में जानकर आपको मालूम पड़ेगा कि, सामाजिक परिवेश में पतियों का स्वभाव कितनी अहम भूमिका निभाते थे.
स्वामी ऐसे पति जो स्वभाव से मालिक जैसे व्यवहार करते थे. सख्त रवैया और पत्नियों पर अधिकार जमाते थे. इनकी यही कोशिश रहती थी कि, पत्नी इनके नियमों और फैसलों को मानें और इनके अनुसार जीवन को जिएं बिना अपनी इच्छा जाहिए किए.
वल्लभ ऐसे पति जिनका रवैया प्रेमी के जैसा था, वे प्यार करने वाले नरम दिल के और पत्नी का समर्थन करते थे. विवाह आपसी समझ, सम्मान और प्यार के इजहार से चलती है. प्राचीन भारत में पति की वल्लभ श्रेणी को काफी पसंद किया जाता था.
प्रजापति जिनका रवैया रक्षक की ही तरह था, वे एक गार्जियन की तरह परिवार की सुरक्षा करते हैं और उनका पालन-पोषण भी करते हैं. इस शादी में पार्टनर बराबर नहीं होते, पति का एकतरफा सता चलता है.
वैरागी पति जिनका स्वभाव दयालु होता है, लेकिन वह अपनी ही दुनिया में रहना पसंद करते हैं. इन्हें फिजिकल इंटिमेसी में किसी भी तरह की दिलचस्पी नहीं हैं. ऐसे पति अपनी पत्नियों के साथ परिवार की जिम्मेदारियों को निभाने में ज्यादा बल देते हैं.
सखा इनका रवैया दोस्ताना किस्म का होता है, ऐसे पति चंचल होने के साथ जीवनभर साथ निभाते हैं. ऐसे पति पत्नियों के साथ शादी के बाद भी दोस्ताना व्यवहार करते हैं और उनके साथ मजेदार जीवन बिताते हैं.
गुरु इनका टीचर की तरह रवैया होता है. पत्नि के साथ आध्यात्मिक और मोरली जीवन बिताते हैं. ऐसे पति सिखाने वाले स्वभाव के साथ शादी की भावनाओं की बजाए बल्कि वैल्यूज को ज्यादा महत्व देते हैं.
दास इनका नौकर जैसा रवैया होता है, यह लोग आज्ञाकारी होने के साथ पत्नि की इच्छा अनुसार चीजों का पालन करते हैं. यह उंच-नीच की शादी है, जहां पत्नी की भागीदारी प्रमुख होती है. प्राचीन भारत के साधु संतों ने पुरुष के व्यक्तित्व की विविधता को समझाने के लिए उन्हें 7 अलग-अलग श्रेणियों में बांटा गया है.