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साइलेंट डेंजर है लीकी हार्ट वॉल्व, डॉक्टर से समझें इसके लक्षण-खतरे और बचाव

सोनम   |  05 Aug 2025 08:56 AM (IST)
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ऐसी ही एक कंडीशन है लीकी हार्ट वॉल्व या हार्ट वॉल्व रिगर्जिटेशन, जिसकी वजह से हर हार्टबीट के साथ ब्लड पीछे की तरफ फ्लो होने लगता है. बहुत से लोग कई साल तक यह जाने बिना जीते रहते हैं कि उनके हार्ट का वॉल्व ठीक से काम नहीं कर रहा है.

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हार्ट एक्सपर्ट डॉ. सईद अफरीदी का कहना है कि वॉल्व से जुड़ी हार्ट डिजीज को अक्सर लोग अंडर-डाइग्नोस और अंडर-ट्रीटेड रखते हैं. इसका रिस्क इसलिए ज्यादा है, क्योंकि इसके सिम्पटम्स क्लियर नहीं होते और नॉर्मल थकान जैसे लग सकते हैं. हालांकि, एक छोटा सा लीक भी हार्ट पर स्ट्रेस डाल सकता है और कॉम्प्लीकेशन्स का रिस्क बढ़ा सकता है. हार्ट की लॉन्ग-टर्म हेल्थ को बचाने के लिए यह जानना जरूरी है कि कब एक्शन लेना है.

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हार्ट वॉल्व रिगर्जिटेशन तब होता है, जब हार्ट के चार वॉल्व्स में से कोई एक टाइटली बंद नहीं हो पाता. इससे उसमें लीकेज होती है और हर बार वॉल्व बंद होने पर कुछ ब्लड गलत डायरेक्शन में बहता है. वॉल्व एक वन वे डोर की तरह होते हैं, जो ब्लड को पीछे बहने से रोकते हैं.

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एक छोटा सा लीक हार्ट की हेल्थ को अफेक्ट नहीं कर सकता, लेकिन अगर लीक मॉडरेट या सीरियस हो तो इससे हार्ट फेलियर या हार्ट का साइज बढ़ सकता है. इस कंडीशन की सीरियसनेस इस बात पर डिपेंड करती है कि कितना ब्लड गलत तरीके से फ्लो हो रहा है.

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लीकी हार्ट वॉल्व के सिम्पटम्स शुरुआत में हल्के हो सकते हैं, लेकिन समय के साथ बिगड़ते जाते हैं. इनमें अक्सर चेस्ट पेन या प्रेशर महसूस होना शामिल है. इसके साथ ही, लगातार खांसी आना, खासकर जब आप लेटे हों, क्योंकि यह फेफड़ों में फ्लूइड जमा होने का सिग्नल हो सकता है.

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खराब ब्लड सर्कुलेशन की वजह से लगातार थकान और वीकनेस महसूस होना भी एक आम लक्षण है. वहीं, तेज या इर्रेगुलर हार्टबीट भी यह संकेत दे सकती है कि आपका हार्ट लीक हुए वॉल्व को मैनेज करने के लिए ज्यादा मेहनत कर रहा है.

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इसके अलावा एक्सरसाइज या सीढ़ियां चढ़ते समय सांस लेने में दिक्कत होना एक कॉमन सिम्प्टम है. खराब ब्लड सर्कुलेशन की वजह से पैरों और एंकल में सूजन भी दिख सकती है.

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लीकी हार्ट वॉल्व के लक्षण हमेशा नजर नहीं आते हैं, लेकिन इसका इफेक्ट टाइम के साथ धीरे-धीरे बढ़ सकता है. यहां तक कि हल्के सिम्प्टम्स भी यह बता सकते हैं कि हार्ट पर स्ट्रेस है. डाइग्नोसिस टूल्स और ट्रीटमेंट ऑप्शंस की मदद से इस दिक्कत का पता पहले लगाने में मदद मिलती है. असामान्य फिजिकल चेंजेस पर ध्यान देना और फॉलो-अप को प्रायोरिटी देना कॉम्प्लीकेशन को रोकने और हार्ट की लॉन्ग टर्म हेल्थ को सपोर्ट करने में हेल्प कर सकता है.

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