1 जनवरी से जन्म लेने लगे बीटा जेनरेशन के बच्चे, जानें ये पिछली पीढ़ियों से कितने हैं अलग?
दरअसल, 1 जनवरी 2025 से जन्मे बच्चों को 'जेनरेशन बीटा' कहने के पीछे का सबसे बड़ा कारण यह है कि ये आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और तकनीकी विकास के युग में पले-बढ़ेंगे. जिसे आमतौर पर जेन बीटा के नाम से जाना जाता है. साथ ही पिछली बार जब दुनिया में पीढ़ीगत बदलाव हुआ था, तो वह 2010 में हुआ था. जब जेन अल्फा बच्चे पैदा हुए थे. यह जेनरेशन एक ऐसी दुनिया में पलेगी, जहां टेक्नोलॉजी न केवल जीवन का हिस्सा होगी, बल्कि हर पहलू को गहराई से प्रभावित करेगी.
साल 1901-1927 के बीच जन्म लेने वाली पीढ़ी को ग्रेटेस्ट जेनरेशन पीढ़ी (जीआई पीढ़ी) के रूप में जाना जाता है. इसके अलावा, साल 1928-1945 के बीच जन्म लेने वाली पीढ़ी को साइलेंट जेनरेशन कहा जाता है.
इसके बाद साल 1946-1964 के बीच पैदा हुई पीढ़ी को बेबी बूम पीढ़ी कहा जाता है. इसके अलावा लैची पीढ़ी के रूप में जानी जाने वाली पीढ़ी जो 1965-1980 के बीच पैदा हुई थी. उसे जनरेशन एक्स कहा जाता है.
साल 1981-1996 के बीच पैदा हुई पीढ़ी को मिलेनियल जनरेशन या जनरेशन Y कहा जाता है. इसके अलावा जनरेशन Z या iGen वे लोग हैं जो 1997-2010 के बीच पैदा हुए हैं. साथ ही, जनरेशन अल्फा वे लोग हैं जो 2010-2024 के बीच पैदा हुए हैं.
ऑस्ट्रेलिया की न्यू बॉर्न बेबी गर्ल को बीटा पीढ़ी के उद्घाटन सदस्य के रूप में मनाया जाता है. उसके माता-पिता, त्ज़े-लिंग हुआंग और लियाम वाल्श ने न्यू साउथ वेल्स के कॉम्बॉयने में उसका स्वागत किया. उम्मीद से दो सप्ताह पहले ही इनकी जन्म हो गई. बीटा पीढ़ी वाले बच्चे को विरासत में जलवायु परिवर्तन, अधिक जनसंख्या और पर्यावरणीय समस्याओं से जूझते हुए समस्या विरासत में मिलेगी.
किसी भी जेनरेशन का नाम उसके समय की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और तकनीकी घटनाओं पर निर्भर करता है. इस जेनरेशन की अवधि आमतौर पर 15-20 साल होती है. इसकी शुरुआत और अंत युद्ध, आर्थिक बदलाव या टेक्नोलॉजी में क्रांति से जुड़ी होती है.