इंटरमिटेंट फास्टिंग करने वालों के लिए गुड न्यूज, डायबिटीज और दिल की बीमारियों का खतरा भी कम कर सकती है यह आदत
इंटरमिटेंट फास्टिंग कार्डियोमेटाबोलिक स्वास्थ्य के कई पहलुओं, विशेष रूप से रक्त शर्करा नियंत्रण और कोलेस्ट्रॉल को बेहतर बनाने का एक व्यवहार्य और प्रभावी तरीका है. भले ही लोग पहले से ही दवाएं ले रहे हों. मुख्य लेखक, एमिली मनूगियन, पीएचडी, यूसी सैन डिएगो स्कूल ऑफ मेडिसिन में साल्क इंस्टीट्यूट में एक पोस्टडॉक्टरल फेलो और शोधकर्ता कहते हैं.हालांकि यह अध्ययन चयापचय सिंड्रोम वाले वयस्कों में किया गया था. इस और अन्य निष्कर्षों के आधार पर, यह प्रीडायबिटीज, उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल या बढ़े हुए वजन और संभवतः कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं को सुधारने में भी मदद कर सकता है. संयुक्त राज्य अमेरिका में 3 में से 1 से अधिक वयस्कों में मेटाबोलिक सिंड्रोम है, जो किसी व्यक्ति के हृदय रोग, स्ट्रोक और टाइप 2 मधुमेह के जोखिम को काफी बढ़ा देता है.
शोधकर्ताओं ने मेटाबोलिक सिंड्रोम वाले कुल 108 वयस्कों को यादृच्छिक रूप से या तो समय-प्रतिबंधित खाने वाले समूह या नियंत्रण समूह में रखा. समूह में 51 प्रतिशत महिलाएं थीं, जिनकी औसत आयु 59 वर्ष थी. औसत वजन 196 पाउंड था, और औसत बीएमआई लगभग 31 था.
हार्ट अटैक, स्ट्रोक का खतरा कम करने में भी मदद मिलती है. इस फास्टिंग को करने का तरीका ये है कि आपको अपने खाने की अवधि को प्रतिदिन 10 घंटे तक प्रतिबंधित करना होगा. यानी खाने से एक घंटा पहले खाना खाएं और उठने के बाद जब 10 घंटे पूरे हो जाए तब खाना खाएं.
इंटरमिटेंट फास्टिंग 10 घंटे से ज्यादा देर तक करना चाहिए. खाने में लंबा गैप लेने के कारण डायबिटीज कंट्रोल में रहता है. साथ ही इससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा भी कम होता है.
दरअसल, इंटरमिटेंट फास्टिंग करने से मोटापा कम होता है और इसके कारण आधी बीमारियां ठीक हो जाती है. जिसके कारण ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल में रहता है.