जानें कितना होता है ECG के BPM का नॉर्मल रेंज, कब हो जाना चाहिए सावधान
दिल की किसी बीमारी और हार्ट बीट का रेट चेक करने के लिए डॉक्टर इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ECG) करातेहैं. इस टेस्ट की मदद से हार्ट बीट प्रति मिनट (BPM) का पता चल जाता है. अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार, अगर बीपीएम 60-80 तक होता है तो उसे नॉर्मल माना जाता है लेकिन अगर यह 100 से ज्यादा पहुंच जाए तो यह हार्ट की बीमारी के संकेत हो सकते हैं.
कुछ लोग बीपीएम 100 से ज्यादा देखकर घबरा जाते हैं और इसे दिल की बीमारी मान लेते हैं लेकिन क्या यह सही है. आखिर कितना बीपीएम खतरनाक माना जाता है. आइए एक्सपर्ट्स से जानते हैं..
ईसीजी कैसे होता है: हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ईसीजी हार्ट की गति को नापने का काम करता है. इसमें चेस्ट, हाथों और पैरों पर इलेक्ट्रोड लगाकर एक मशीन से जोड़कर धड़कन रिकॉर्ड की जाती है. इस टेस्ट से हार्ट बीट के रेट की सही जानकारी मिल जाती है. चेस्ट पेन और बीपी के मरीजों को ये टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है.
100 से ज्यादा BPM होने का कारण: ईसीजी टेस्ट की रीडिंग की बात करें तो अगर ईसीजी में बीपीएम 100 से ज्यादा रिकॉर्ड की जाती है तो यह टैचीकार्डिया का इशारा हो सकता है.
इसमें दिल सामान्य गति से तेज धड़कता है, जो दिल की बीमारी का संकेत माना जाता है, लेकिन ऐसा जरूरी नहीं है कि ईसीजी में बीपीएम 100 से ज्यादा होना खतरनाक ही है. ऐसा इसलिए क्योंकि हार्ट बीट बढ़ने की कई और वजह हो सकती है.
हार्ट बीट बढ़ने का कारण: डॉक्टर के मुताबिक, अगर कोई 200 से 300 कदम चलकर ईसीजी कराने पहुंचता है तो बीपीएम बढ़ सकता है. इसके अलावा फीवर, घबराहट जैसी कंडीशन में भी हार्ट बीट की रेट बढ़ जाती है. इसलिए 100 से ज्यादा बीपीएम होने का मतलब खतरनाक ही नहीं होता है. कई बार सामान्य स्थिति में भी ईसीजी कराने पर बीपीएम बढ़ा हुआ होता है. इसलिए डॉक्टर की सलाह पर ही इलाज कराना चाहिए और लापरवाही से बचना चाहिए.