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(Source: ECI | ABP NEWS)
क्या कैंसर पीड़ित शख्स के स्पर्म से पैदा हुए बच्चों को भी हो सकता है कैंसर? होश उड़ा देगी यह रिपोर्ट
डायबिटीज से लेकर दिल की बीमारियां पीढ़ी-दर-पीढ़ी अपना असर दिखाती हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कैंसर भी दूसरी पीढ़ी में ट्रांसफर हो सकता है?
यूरोप में ऐसा एक मामला सामने आया है, जिसमें कैंसर पीड़ित शख्स के स्पर्म से पैदा हुए बच्चों में भी इस बीमारी के लक्षण पाए गए. इस तरह के मामले में क्या कहता है विज्ञान?
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यूरोप वाले केस में स्पर्म डोनर के माध्यम से यह बच्चों में ट्रांसफर हो गया. इससे पता लगता है कि कैंसर पीड़ित व्यक्ति के स्पर्म में मौजूद जेनेटिक म्यूटेशन बच्चों में कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं.
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चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से 10 बच्चों को ल्यूकेमिया और नॉन-हॉजकिन लिम्फोमा जैसा कैंसर गया. वहीं, 23 बच्चों में TP53 जीन म्यूटेशन पाया गया, जो ली-फ्रामेनी सिंड्रोम से जुड़ा है. यह सिंड्रोम कई तरह के कैंसर जैसे ब्रेस्ट कैंसर, बोन कैंसर, और ल्यूकेमिया के खतरे को बढ़ाता है.
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कैंसर बेहद खतरनाक बीमारी है, जो जेनेटिक, एनवायरनमेंटल और लाइफस्टाइल से संबंधित कारणों के कनेक्शन से होती है. हालांकि, अधिकांश कैंसर जेनेटिक नहीं होते हैं.
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डॉक्टरों की मानें तो कुछ खास तरह के कैंसर जैसे ब्रेस्ट कैंसर, ओवेरियन कैंसर और कोलोरेक्टल कैंसर वंशानुगत जीन म्यूटेशन जैसे BRCA1, BRCA2, और TP53 से जुड़े हो सकते हैं। नई रिसर्च के अनुसार, कैंसर के लगभग 5-10% मामले वंशानुगत आनुवंशिक दोषों के कारण होते हैं.
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वहीं, TP53 म्यूटेशन से संबंधित ली-फ्रामेनी सिंड्रोम से प्रभावित व्यक्ति को अपनी जिंदगी में कैंसर होने की आशंका 70-90% तक होती है. यह म्यूटेशन माता-पिता से बच्चों में विरासत में मिल सकता है.
Published at : 30 May 2025 03:18 PM (IST)
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