कौन लोग होते हैं LGBT कम्युनिटी में, जानिए इनके बारे में कुछ फैक्ट्स
इंद्रधनुषीय झंड़े का इतिहास भी बहुत पुराना है. ये झंड़ा सैन फ्रांसिस्को के कलाकार, सैनिक और समलैंगिक अधिकारों के पक्षधर गिल्बर्ट बेकर ने 1978 में डिजाइन किया था. 1974 में जब बेकर अमेरिकी राजनेता हार्वे मिल्क से मिले तो हार्वे ने ही उन्हें सैन फ्रांसिस्को के वार्षिक गौरव परेड के लिए इस तरह को झंड़ा तैयार करने को कहा था. हार्वे मिल्क अमेरिका के एक लोकप्रिय समलैंगिक आइकन थे. 2015 में मॉर्डन ऑर्ट म्यूजियम से अपने एक इंटरव्यू में बेकर ने कहा कि हार्वे से मिलने से पहले से ही वे समलैंगिक लोगों के लिए एक प्रतीकात्मक झंड़ा बनाने का सोच रहे थे, जो विशेषतौर पर अमेरिकी झंड़े की तरह दिखता हो. यह झंड़ा पहली बार 25 जून 1978 को सैन फ्रांसिस्को के समलैंगिक स्वतंत्रता परेड में दिखाया गया था. फोटोः गूगल फ्री इमेज
समलैंगिक झंड़े के अलग-अलग रंग, अलग-अलग समुदायों के बीच की एकजुटता दिखाता है. इस झंड़े के हर रंग का अपना एक अगल मतलब होता है. गुलाबी रंग- सेक्सुअलिटी, लाल रंग-ज़िंदगी, नारंगी रंग- इलाज, पीला रंग-सूरज की रोशनी, हरा रंग- प्रकृति, नीला रंग- सौहार्द , बैंगनी रंग- व्यक्ति की आत्मा का प्रतीक है. फोटोः गूगल फ्री इमेज
आपको बता दें, समलैंगिकता का प्रतीक इंद्रधनुषीय झंड़ा हैं. सोशल मीडिया पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद प्राइड इंडिया और एलजीबीटी के हैशटैग के साथ ये इंद्रधनुषीय झंड़ा दिखाई दे रहा है. फोटोः गूगल फ्री इमेज
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले से देश के तमाम समलैंगिक लोगों को उनके संवैधानिक अधिकार दे दिए. इस फैसले में कोर्ट ने समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया. फैसले के बाद से ही समलैंगिक समुदाय में खुशी की लहर है. फोटोः गूगल फ्री इमेज
लेस्बियन कैटेगिरी में महिलाएं पुरुषों के बजाय महिलाओं की तरफ आकर्षित होती हैं. वहीं गे कैटेगिरी में पुरुष महिलाओं के बजाय पुरुष की तरफ आकर्षित होते हैं और अपने जीवन साथी के रूप में उन्हें चुनते हैं. लेस्बियन और गे कैटेगिरी में लोग समान लिंग वाले लोगों से संबंध बनाते हैं. फोटोः गूगल फ्री इमेज
ट्रांसजेंडर कैटेगिरी में वे लोग आते हैं जो जन्म से महिला या पुरुष के रूप में पैदा होते हैं लेकिन खुद को दूसरे जेंडर की तरह समझते हैं. जैसे कोई पुरुष बचपन से महिला के रूप में रहना पसंद करते हैं. वे महिलाओं की तरह ही महसूस करते हैं और वैसा ही व्यवहार करते हैं. जैसे मेल की बॉडी में फीमेल हो. लेकिन जो लोग सर्जरी की मदद से अपना जेंडर चेंज करवा लेते हैं उन्हें ट्रांस सेक्सुअल कहते हैं. फोटोः गूगल फ्री इमेज
लेकिन सवाल ये उठता है कि आखिर समलैंगिकता है क्या? एलजीबीटी कम्यूनिटी में कौन लोग आते हैं? LGBT यानि लेस्बियन, गे, बायसेक्सुअल और ट्रांसजेंडर लोग. फोटोः गूगल फ्री इमेज
वहीं बायसेक्सुअल में महिलाएं और पुरुष दोनों ही कैटेगिरी के लोगों के साथ संबंध बनाते हैं. इस कैटेगिरी में महिलाएं पुरुषों के अलावा महिलाओं की तरफ भी आकर्षित होती हैं और पुरुष महिलाओं के अलावा पुरुषों की तरफ आकर्षित होते हैं. यानि इस कैटेगिरी में लोग समान लिंग और विपरीत लिंग दोनों की ओर आकर्षित होते हैं. फोटोः गूगल फ्री इमेज
भारतीय दंड संहिता की धारा 377 जिसे इंडियन पीनल कोड के सेक्शन 377 के नाम से भी जानते हैं. ये धारा ब्रिटीश काल में बनी थी. इस सेक्शन 377 के अंतर्गत समान लिंग के कोई भी दो व्यक्ति यदि आपस में संबंध बनाते हैं तो उसे अपराध की श्रेणी में रखा जाता था. इस धारा के तहत अपराधी को आजीवन कारावास की सजा या दस साल जेल और जुर्माने का प्रावधान भी था. फोटोः गूगल फ्री इमेज
समलैंगिकों यानि एलजीबीटी कम्युनिटी के पक्ष में फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बीते गुरूवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया. फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 को आंशिक रूप से समाप्त कर दिया है. फोटोः गूगल फ्री इमेज