✕
  • होम
  • इंडिया
  • विश्व
  • उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड
  • बिहार
  • दिल्ली NCR
  • महाराष्ट्र
  • राजस्थान
  • मध्य प्रदेश
  • हरियाणा
  • पंजाब
  • झारखंड
  • गुजरात
  • छत्तीसगढ़
  • हिमाचल प्रदेश
  • जम्मू और कश्मीर
  • बॉलीवुड
  • ओटीटी
  • टेलीविजन
  • तमिल सिनेमा
  • भोजपुरी सिनेमा
  • मूवी रिव्यू
  • रीजनल सिनेमा
  • क्रिकेट
  • आईपीएल
  • कबड्डी
  • हॉकी
  • WWE
  • ओलिंपिक
  • धर्म
  • राशिफल
  • अंक ज्योतिष
  • वास्तु शास्त्र
  • ग्रह गोचर
  • एस्ट्रो स्पेशल
  • बिजनेस
  • हेल्थ
  • रिलेशनशिप
  • ट्रैवल
  • फ़ूड
  • पैरेंटिंग
  • फैशन
  • होम टिप्स
  • GK
  • टेक
  • ऑटो
  • ट्रेंडिंग
  • शिक्षा

केरल: कैग रिपोर्ट पर अमल होता तो बच जाती कई सारी जिंदगियां

एबीपी न्यूज़   |  20 Aug 2018 03:09 PM (IST)
1

पर्यावरणविद् ने आगे कहा, इस देश में बाढ़ प्रबंधन का यही हाल है. बाढ़ का प्रकोप ज्यादा होगा तो नुकसान ज्यादा होगा, मसलन राहत और पुनर्वास के लिए ज्यादा मुआवजा बंटेगा. अधिकारी इसी में खुश हैं. तस्वीर: एएनआई

2

विक्रांत ने पिछले साल जारी कैग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया, हमारा आपदा प्रबंधन दुरुस्त नहीं है. पिछले साल जारी कैग की रिपोर्ट में कहा गया था कि हमें आजाद हुए 70 साल से ज्यादा हो गए हैं लेकिन अभी तक बाढ़ के लिए आवंटित पैसे का सही ढंग से उपयोग नहीं हो पा रहा. हमारी बाढ़ प्रबंधन और पुनर्वास योजना पूर्ण रूप से क्रियान्वित नहीं हो रही है. इसके लिए आवंटित करोड़ों रुपए अधिकारियों के दौरों और उनकी सुविधाओं पर खर्च हो रहे हैं. इस रिपोर्ट पर बड़ा घमासान मचा था और कहा गया था कि इस तरह चलता रहा तो यह बड़ी त्रासदी को जन्म देगा. तस्वीर: एएनआई

3

केरल में बाढ़ की इस भयावहता पर उन्होंने कहा, हम बाढ़ रोकने के लिए तैयार नहीं हैं और केरल में तो बिल्कुल भी तैयारी नहीं थे. इसमें राज्य के आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की लापरवाही और उदासीन रवैये का बहुत बड़ा हाथ है लेकिन हां, केंद्रीय आपदा प्रबंधन की भूमिका राज्य की तुलना में फिर भी बेहतर है. तस्वीर: एएनआई

4

इस भ्रष्टाचार पर उन्होंने कहा, सिर्फ वित्तीय भ्रष्टाचार नहीं है, व्यावहारिक भ्रष्टाचार भी है लेकिन यह भी नहीं है कि सिर्फ इन धांधलियों से ही बाढ़ का खतरा बढ़ा है. बाढ़ प्रबंधन में रूटीन भ्रष्टाचार है जो देश में हर जगह है. आपको यह मोदी जी के स्वस्थ भारत अभियान में भी देखने को मिलेगा. रक्षा संबंधी खरीद-फरोख्त में भी यह सब होता है. हमें जरूरत है अपने सूचना तंत्र को मजबूत करने की. तमाम तरह की टेक्नोलॉजी है जिनका बेहतर तरीके से उपयोग किया जाना चाहिए. इस पर दूसरे देशों में ज्यादा काम होता है उनसे सीखा जा सकता है. कैग ने भी तो यही कहा था कि आपदा प्रबंधन को उचित रूप से लागू नहीं किया गया है. तस्वीर: एएनआई

5

विक्रांत राहत और बचाव कार्य में भ्रष्टाचार की पोल खोलते हुए कहा, आपको बताऊं हम हाल ही में अलीगढ़ गए थे. आपको यकीन नहीं होगा कि आजादी के बाद से अब तक वहां जलभराव की समस्या खत्म नहीं हुई है. मानसून के दिनों में मुख्य सड़कों पर नाव चलाकर जाना पड़ता है. ऐसी सड़कों पर जो पॉश इलाके हैं और वहां डीएम का आवास भी है. वहां ड्रेनेज सिस्टम को अभी तक दुरुस्त नहीं किया गया. क्यों? यदि इस समस्या को दुरुस्त कर लिया जाएगा तो पानी की निकासी के लिए हर साल आवंटित धनराशि मिलनी बंद हो जाएगी. फिर जेबें कैसे भरेंगी? तस्वीर: एएनआई

6

विक्रांत ने कहा, केरल में इस बार सामान्य से अधिक बारिश हुई है, जो पिछले कई सालों की तुलना में कहीं अधिक है. यही वजह रही कि इडुक्की बांध के पांचों द्वार खोलने पड़े लेकिन इससे पहले कोई माथापच्ची नहीं की गई कि 26 सालों में पहली बार बांध के पांचों द्वार खोलने पर स्थिति क्या हो सकती है और जो स्थिति हुई, वह सबके सामने हैं. तस्वीर: एएनआई

7

वह कहते हैं कि कैग की रिपोर्ट पर गंभीरता से अमल किया जाता तो केरल की बाढ़ से हुए नुकसान को बहुत हद तक कम किया जा सकता था. जन और धन हानि कम हो सकती थी. कागजों पर जो पॉलिसी फल-फूल रही है यदि वह वास्तविकता में सही तरीके से होती तो हम काफी जिंदगियां बचा सकते थे. तस्वीर: एएनआई

8

पर्यावरणविद् ने मीडिया से बात करते हुए में कहा, लगभग एक दशक से जलवायु परिवर्तन से होने वाले नुकसान को लेकर आगाह किया जा रहा है. यकीनन, बाढ़ के विकराल रूप के लिए जलवायु परिवर्तन का बहुत बड़ा हाथ है लेकिन इसके साथ ही घरेलू कारक और सरकारी नीतियां भी उतनी ही जिम्मेदार हैं. बाढ़ को रोका नहीं जा सकता लेकिन इससे होने वाले नुकसान को बहुत हद तक कम किया जा सकता है. तस्वीर: एएनआई

9

विक्रांत आगे कहते हैं कि राहत और पुनर्वास मुआवजे को लेकर अधिकारियों की धांधलियां आपदा स्थितियों को जस का तस बनाए रखने की रणनीति में जुटी रहती हैं. केरल में बाढ़ के लिए कोई एक फैक्टर जिम्मेदार नहीं है. बाढ़ के इस तांडव में कई कारण हैं. तस्वीर: एएनआई

10

केरल की बाढ़ को सदी की सबसे भयावह बाढ़ कहा जा रहा है लेकिन पिछले साल जारी कैग की रिपोर्ट में इस तरह की बाढ़ का अंदेशा जताया गया था. यदि इस रिपोर्ट को गंभीरता से लिया गया होता तो बाढ़ से हुए नुकसान को बहुत हद तक कम किया जा सकता था. पर्यावरणविद् विक्रांत तोंगड़ का कहना है कि देश में बाढ़ प्रबंधन का बुरा हाल है. बाढ़ का प्रकोप ज्यादा होगा तो नुकसान ज्यादा होगा मसलन राहत और पुनर्वास के लिए ज्यादा मुआवजा बंटेगा. तस्वीर: एएनआई

11

ये एक्सपर्ट के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने एक्सपर्ट की सलाह जरूर ले लें.

  • हिंदी न्यूज़
  • फोटो गैलरी
  • न्यूज़
  • केरल: कैग रिपोर्ट पर अमल होता तो बच जाती कई सारी जिंदगियां
About us | Advertisement| Privacy policy
© Copyright@2025.ABP Network Private Limited. All rights reserved.