कर्नाटक चुनाव: जिनके दर पर अमित शाह ने दी थी दस्तक, 111 साल के उस 'भगवान' से आशीर्वाद लेने पहुंचे राहुल
कांग्रेस की सरकार ने लिंगायत को अलग धर्म का दर्जा देने की जो चाल चली है उसपर बीजेपी का कहना कि वो इसे सफल नहीं होने देंगे. वहीं जानकारों के मुताबिक इसपर लिया गया फैसला नतीजों का रुख तय करने वाला साबित होगा. आपको बता दें कि बीजेपी के येदुरप्पा लिंगायत हैं, वहीं जेडीएस के देवेगौड़ा वोकालिंगा हैं और कांग्रेस के सिद्धारमैया कुरबा जाति के हैं. कांग्रेस की कोशिश लिंगायत को तोड़कर चुनाव जीतने की है. वहीं अगर बीजेपी ने लिंगायत वोट के अपने पाले में बरकरार रखा तो बीजेपी जीत जाएगी.
मई के महीने में होने वाले कर्नाटक चुनाव के मद्देनज़र लिंगायत को अलग धर्म का दर्जा देना बहुत बड़ा मुद्दा बन गया है. राज्य की कांग्रेस पार्टी की सिद्धारमैया सरकार ने लिंगायत को अलग धर्म का दर्जा देने का फैसला लेकर बॉल केंद्र के मोदी सरकार के पाल में डाल दी है. राज्य में सबसे ज्यादा 18 फीसदी आबादी लिंगायतों की है जिनके 400 मठ हैं. दूसरे नंबर पर 12 फीसदी आबादी वाला वोकालिंगा समुदाय है जिनके 150 मठ हैं. वहीं तीसरे नंबर पर आठ फीसदी आबादी वाला कुरबा समुदाय हैं जिसके 80 से ज्यादा मठ हैं.
आपको बता दें कि शिवकुमार स्वामी से बीजेपी अध्यक्ष शाह भी आर्शीवाद ले चुके हैं. शिवकुमार स्वामी सिद्धगंगा मठ के प्रमुख संत हैं. ये मठ 300 साल पुराना है और स्वामी जी को लिंगायत समुदाय के लोग भगवान का दर्जा देते हैं. असल में कर्नाटक में पिछले तीन दशक से मठों का राजनीति में दखल है. यहां तीन समुदायों के अलग अलग 600 से ज्यादा मठ हैं जिनके पास चुनाव में हार जीत तय करने की ताकत है. यही वजह है कि तमाम नेता मंदिर मंदिर जाकर मत्था टेक रहे हैं.
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपने दो दिनों के कर्नाटक दौर पर हैं और आज उनके दौरे का दूसरा दिन है. दौरे के दूसरे दिन उन्होंने सिद्धगंगा मठ का रुख किया जहां वो 111 साल शिव कुमार स्वामी से मिले.