इंफर्टिलिटी की समस्या से हैं परेशान, कहीं ये वजह तो नहीं?
टीबी की पहचान के बाद एंटी टीबी दवाईयों से तुरंत उपचार प्रारंभ कर देना चाहिए. एंटीबॉयोटिक्स का जो छह से आठ महीनों का कोर्स है वह ठीक तरह से पूरा करना चाहिए. कोर्स खत्म होने के बाद प्रेग्नेंट होने के लिए इन-व्रिटो फर्टिलाइजेशन या इंट्रासाइटोप्लाज्मिक स्पर्म इंजेक्शन की सहायता भी ली जाती है. फोटोः गूगल फ्री इमेज
टीबी की चपेट में आने से बचने के लिए भीड़-भाड़ वाले स्थानों से दूर रहें, जहां आप नियमित रूप से इंफेक्टिड लोगों के संपर्क में आ सकते हैं. अपनी सेहत का ख्याल रखें और नियमित रूप से अपनी शारीरिक जांचे कराते रहें. अगर संभव हो तो इस स्थिति से बचने के लिए टीका लगवा लें.फोटोः गूगल फ्री इमेज
टीबी के कारण महिलाओं में प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर रहे कुछ लक्षणों को पहचानना बहुत मुश्किल है इसमें इररेगुलर पीरियड्स, सबंध बनाने के बाद दर्द होना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं लेकिन कई मामलों में यह लक्षण इंफेक्शन के काफी बढ़ जाने के बाद में दिखाई देते हैं. पुरुषों में शुक्राणुओं की गतिशीलता कम हो जाना और पिट्यूटरी ग्रंथि द्वारा पर्याप्त मात्रा में हार्मोन का निर्माण न करना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं. फोटोः गूगल फ्री इमेज
रिसर्च के मुताबिक, टीबी को दुनिया भर में बीमारी से होने वाली मौतों के 10 प्रमुख कारणों में से एक माना जाता है. यह घातक बीमारी लोगों के शरीर के दूसरे भागों में फैलकर उन्हें इंफेक्टिड कर सकती है, जिससे महिलाओं और पुरुषों दोनों में इंफर्टिलिटी का खतरा हो सकता है. फोटोः गूगल फ्री इमेज
टीबी से पीड़ित हो चुकी महिलाओं को मां बनने के बाद एक नई चिंता सताने लगती है कि क्या ब्रेस्टफीड कराने से उनका बच्चा इंफेक्शन की चपेट में तो नहीं आ जाएगा. ऐसी माताओं को चाहिए कि जब वे अपने बच्चों को ब्रेस्टफीड न कराएं तो चेहरे पर मास्क लगा लें. फोटोः गूगल फ्री इमेज
टीबी से पीड़ित हर दस महिलाओं में से दो गर्भधारण नहीं कर पाती हैं, जननांगों की टीबी के 40.80 प्रतिशत मामले महिलाओं में देखे जाते हैं. फोटोः गूगल फ्री इमेज
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2017 में टीबी पर एक रिपोर्ट जारी थी, जिसके मुताबिक 2016 में टीबी से प्रभावित सूची में भारत 27.9 लाख मरीजों के साथ नंबर एक स्थान पर था और इसी वर्ष टीबी से करीब 4.23 लाख मरीजों की मौत हुई थी. रिपोर्ट के मुताबिक, 2016 में सबसे ज्यादा टीबी के मामले भारत, इंडोनेशिया, चीन, फिलीपींस और पाकिस्तान में दर्ज किए गए थे.फोटोः गूगल फ्री इमेज
महिलाओं में टीबी के कारण जब गर्भाशय का इंफेक्शन हो जाता है तब गर्भाशय की सबसे अंदरूनी परत पतली हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप गर्भ या भ्रूण के ठीक तरीके से विकसित होने में बाधा आती है. जबकि पुरुषों में इसके कारण शुक्राणु वीर्य में नहीं पहुंच पाते और पुरुष 'एजुस्पर्मिक' हो जाते हैं. फोटोः गूगल फ्री इमेज
टीबी एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है क्योंकि जब बैक्टीरियम प्रजनन मार्ग में पहुंच जाते हैं, तब जेनाइटल टीबी या पेल्विक टीबी हो जाती है जो महिलाओं और पुरुषों दोनों में इंफर्टिलिटी का कारण बन सकती है.फोटोः गूगल फ्री इमेज
आजकल की युवा जोड़ियों में इंफर्टिलिटी की समस्या आम बात हो गई है. दरअसल, आजकल की जीवनशैली और कई बीमारियां इसका मुख्य कारण है. हाल ही एक रिसर्च आई है जिसमें महिला और पुरुषों में इंफर्टिलिटी की समस्या के मुख्य कारण को बताया गया है. फोटोः गूगल फ्री इमेज
इंदिरा आईवीएफ हॉस्पिटल कि आईवीएफ एक्सपर्ट डॉ. निताशा गुप्ता ने इस घातक बीमारी के बारे में बताया कि माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस, जिसके कारण टीबी होती है, हर साल 20 लाख से अधिक लोगों को प्रभावित करता है. फोटोः गूगल फ्री इमेज यह बीमारी प्रमुख रूप से फेफड़ों को प्रभावित करती है लेकिन अगर इसका समय रहते इलाज ना कराया जाए तो यह ब्लड के जरिए शरीर में फैलकर उन्हें इंफेक्टिड करती है.
ये रिसर्च के दावे हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.