दुर्लभ ट्यूमर की साइबरनाइफ सर्जरी से महिला मिली नई जिंदगी
डॉ. गुप्ता ने कहा कि रोगी को स्ट्रोक होने का भी थोड़ा खतरा था और इसलिए रेडियोथेरेपी की सलाह नहीं दी गई. इसके लिए साइबरनाइफ प्रभावी और सुरक्षित उपचार विकल्प है. इसके नॉन- इंवैसिव और दर्द मुक्त प्रक्रिया होने के कारण, लक्षित विकिरण के हाई डोज से ट्यूमर को पूरी तरह से हटा दिया गया. फोटोः गूगल फ्री इमेज
पिछले छह महीने के अधिक समय से रीढ़ की हड्डी के दुर्लभ किस्म के ट्यूमर से पीड़ित 30 वर्षीय गृहिणी का नई दिल्ली आर्टेमिस हॉस्पिटल में सफलतापूर्वक इलाज किया गया. ट्यूमर के कारण उन्हें अपने दैनिक कामों को करने में लगातार परेशानी आ रही थी और उनके लकवा से पीड़ित होने का भी खतरा बना हुआ था. फोटोः गूगल फ्री इमेज
रीढ़ की हड्डी के ट्यूमर के इलाज में इसकी जल्द से जल्द पहचान की अहम भूमिका होती है. हालांकि रीढ़ की हड्डी के ट्यूमर के इलाज के लिए कई अन्य उपचार विधियां उपलब्ध हो सकती हैं लेकिन पूरी तरह से नॉन-इंवैसिव होने के कारण और किसी भी तरह के एनेस्थेटिक्स की आवश्यकता नहीं होने के कारण, साइबरनाइफ रोगी के समय को बचाने और बेहतर और जल्द रिकवरी में मदद करने के लिए एक बहुत ही उपयोगी उपाय है. फोटोः गूगल फ्री इमेज
मरीज को कई महीने से उसके बाएं कंधे में तेज दर्द होता था जिसकी वह हमेशा अनदेखा कर रही थी. दो बच्चों की मां होने के नाते उन्होंने सोचा कि दर्द अधिक काम करने के कारण हो रहा है, लेकिन उसे लगातार और असहनीय दर्द हो रहा था जिसके कारण उन्हें कई बार चलने में भी कठिनाई होती थी. उसके बाद, उसने इस पर ध्यान देना शुरू किया. लेकिन उसके बाद उसके हाथों और पैरों में संवेदना कम होना शुरू हो गया. फोटोः गूगल फ्री इमेज
इस ट्यूमर का रेडियोथेरेपी से इलाज करना जोखिम भरा होता है, इसलिए इस ट्यूमर के आकार और स्थान को ध्यान में रखते हुए, टीम ने साइबरनाइफ रोबोट सर्जरी करने का फैसला किया. इस प्रक्रिया में 40 मिनट लगा और रोगी को अस्पताल से तुरंत छुट्टी दे दी गई. रेडियोग्राफिक रिपोर्टों से पता चला कि स्वस्थ कोशिकाओं को प्रभावित किए बिना पहले सत्र के बाद ट्यूमर पूरी तरह से कम हो गया था. फोटोः गूगल फ्री इमेज
आर्टेमिस हॉस्पिटल के एग्रिम इंस्टीट्यूट फॉर न्यूरो साइंसेस के न्यूरोसर्जरी एंड साइबरनाइफ सेंटर के निदेशक डॉ. आदित्य गुप्ता ने कहा कि ट्यूमर हालांकि पहले चरण में था लेकिन अगर इसका इलाज नहीं किया जाता तो इसके कारण शरीर का एक तरफ का हिस्सा लकवाग्रस्त हो जाता. हालांकि इस तरह के ट्यूमर बहुत दुर्लभ होते हैं. केवल 0.5 प्रतिशत से लेकर एक प्रतिशत तक की आबादी ही इससे प्रभावित होती है. फोटोः गूगल फ्री इमेज