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IN PICS: इस दीवाली चला सकेंगे सिर्फ ग्रीन पटाखे, जानिए क्या होते हैं ग्रीन पटाखे और कहां मिलेंगे

एबीपी न्यूज़   |  25 Oct 2018 06:09 PM (IST)
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दुनिया का दूसरे नंबर पर भारत का तमिलनाडु राज्य है जहां के सिवाकाशी शहर को पटाखा प्रोड्क्शन का गढ़ माना जाता है. तस्वीर: गूगल फ्री इमेज

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सीएसआईआर के इन ग्रीन पटाखों के जरिए खतरनाक नाइट्रस ऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड के साथ ही छोटे-छोटे कणों के उत्सर्जन में भी 30 से 35 फीसद कमी आ सकेगी. तस्वीर: गूगल फ्री इमेज

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अगर एक बार PESO इसे अनुमति दे देता है तो उसके बाद इन पटाखों का निर्माण तेजी से किया जा सकेगा ताकि त्योहार के मौके पर पटाखों की डिमांड को पूरा किया जा सके. तस्वीर: गूगल फ्री इमेज

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वहीं, इस दीवाली ई-कैक्रर यानी इलेक्ट्रॉनिक पटाखों का प्रोटोटाइप भी तैयार है. यदि लोग चाहें तो त्योहार पर ई-पटाखे भी जला सकते हैं. CSIR के NEERI इंस्टिट्यूट के वैज्ञानिकों के जरिए विकसित किए गए पटाखों के इन फॉर्मूलों को पेट्रोलियम ऐंड एक्सप्लोसिव्स सेफ्टी ऑर्गनाइजेशन PESO के पास भेजा गया है. तस्वीर: गूगल फ्री इमेज

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इसके साथ ही पटाखों से होने वाला उत्सर्जन लेवल भी बेहद कम हो जाएंगे. इनमें पटाखों का एक फॉर्मूला ऐसा भी है जिससे वॉटर मॉलेक्यूल्स यानी पानी के अणु उत्पन्न हो सकते हैं इससे धूल और खतरनाक तत्वों को कम करने में मदद मिलेगी. तस्वीर: गूगल फ्री इमेज

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इस फैसले के बाद ही CSIR यानी काउंसिल ऑफ साइंटिफिक ऐंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ने पटाखों का ऐसा फॉर्म्युला तैयार किया है जिससे प्रदूषण बहुत कम होगा. बताया जा रहा है कि इन पटाखों में धूल को सोखने की क्षमता है. तस्वीर: गूगल फ्री इमेज

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सुप्रीम कोर्ट ने कुछ दिन पहले ही दीवाली को ध्यान में रखते हुए फैसले दिया था कि इस बार पटाखे जलाने पर रोक नहीं लगाई है. लेकिन, कोर्ट ने ये भी आदेश सुनाते हुए कहा कि रात 8 से 10 बजे के बीच पटाखे जलाने की अनुमति दी है.

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इसके साथ ही उच्चतम कोर्ट ने त्योहार पर ग्रीन पटाखे यानी कम प्रदूषण फैलाने वाले पटाखों का उपयोग करने के लिए कहा है. तस्वीर: गूगल फ्री इमेज

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