Thailand Currency Strength: न पैसा और न पावर... भारत के सामने नहीं टिकता थाईलैंड, फिर इंडिया से ताकतवर क्यों वहां की करेंसी?
बाट का उच्च मूल्य इस बात को दर्शाता है कि थाईलैंड स्थिर मैक्रोइकोनॉमिक स्थितियों को बनाए रखता है. निवेशक स्थिर माहौल पसंद करते हैं और थाईलैंड की अनुमानित अर्थव्यवस्था वैश्विक स्तर पर भारत से काफी ज्यादा शक्तिशाली होने के बावजूद अपने करेंसी की मांग को बनाए रखने में मदद करती है.
थाईलैंड दुनिया के बड़े पर्यटन केंद्रों में से एक है. यह हर साल लाखों पर्यटकों को आकर्षित करता है. ये पर्यटक बाट में खर्च करते हैं. इस वजह से विश्व स्तर पर इसकी मांग बढ़ती है. हालांकि भारत में भी पर्यटन है लेकिन पर्यटन पर थाईलैंड की आर्थिक निर्भरता बाट को विदेशी खर्च से काफी ज्यादा जोड़ती है.
थाईलैंड इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल, प्लास्टिक और रबड़ जैसे क्षेत्रों में इंपोर्ट से ज्यादा एक्सपोर्ट करता है. लगातार व्यापार अधिशेष का मतलब है कि ज्यादा विदेशी खरीदारों को अपनी करेंसी को बाट में बदलना होगा. यही वजह कि यह करेंसी मजबूत होती है.
थाईलैंड ने ऐतिहासिक रूप से भारत की तुलना में कम इन्फ्लेशन रेट बनाए रखा है. जब इन्फ्लेशन नियंत्रण में रहता है तो करेंसी का मूल्य ज्यादा धीरे-धीरे कम होता है. जिस वजह से यह वैश्विक निवेशकों और व्यापारियों के लिए ज्यादा फायदेमंद हो जाती है.
थाईलैंड में ज्यादा इंटरेस्ट रेट बेहतर रिटर्न की तलाश कर रहे हैं विदेशी निवेशकों को आकर्षित करते हैं. विदेशी धन का यह फ्लो बाट मूल्य वर्ग की संपत्तियों की मांग को बढ़ाता है. इससे रुपए के मुकाबले करेंसी का मूल्य बढ़ता है.
थाईलैंड एक्सपोर्ट पर काफी ज्यादा निर्भर करता है. इसका मतलब है कि इसकी अर्थव्यवस्था ग्लोबल सप्लाई चेन से जुड़ी हुई है. एक मजबूत निर्यात प्रदर्शन बाट के लिए लगातार मांग पैदा करता है.