भारत समेत दुनिया के सिर्फ 6 देशों के पास न्यूक्लियर सबमरीन, कोई और देश क्यों नहीं बना पाता इसे?
भारत ने अपनी समुद्री सीमाओं को सुरक्षित करने के लिए नौसेना की जरूरतों और इसे हाइटेक बनाने पर जोर दिया है. दरअसल, चीन की वजह से भारत पर समुद्री सीमाओं को सुरक्षित रखने की चुनौती बढ़ती जा रही है.
भारत लगातार नए हथियारों से नौसेना को एडवांस बना रहा है. इसका मजमून भारतीय सेना में शामिल हुए तीन युद्धपोत हैं, जिनमें- INS सूरत, INS नीलगिरी और INS वाघशीर शामिल हैं.
इसके अलावा भारत के पास दो न्यूक्लियर सबमरीन भी हैं, जो किसी भी परिस्थिति में दुश्मन का खात्मा करने के लिए सक्षम हैं. भारत ऐसी एक और सबमरीन तैयार कर रहा है.
भारत दुनिया के उन चुनिंदा छह देशों में शामिल है, जिनके पास न्यूक्लियर सबमरीन हैं. भारत के अलावा अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन के पास भी परमाणु पनडुब्बियां हैं.
न्यूक्लियर सबमरीन की सबसे बड़ी खासियत इनका अथाह ऊर्जा भंडार है. परमाणु रिएक्टर से संचालित ये पनडुब्बी महीनों तक पानी के अंदर रह सकती हैं और दुश्मन पर नजर रख सकती हैं.
न्यूक्लियर सबमरीन बनाने की तकनीक हर देश के पास नहीं है. अमेरिका ने सबसे पहले 1954 में परमाणु पनडुब्बी बनाई थी. इसके बाद यह तकनीक सिर्फ 6 देश ही विकसित कर सके हैं. अमेरिका ने परमाणु पनडुब्बी की तकनीक ब्रिटेन को दी थी, इसके बाद उसने एक ऐसा समझौता ऑस्ट्रेलिया के साथ किया था.