शेर ही क्यों होता है जंगल का राजा, हाथी, चीता या भालू क्यों नहीं?
सदियों से शेर को शक्ति, साहस और नेतृत्व का प्रतीक माना गया है, लेकिन इसके पीछे सिर्फ उसकी ताकत नहीं बल्कि उसके व्यवहार, दबदबे और समूह पर नियंत्रण जैसे कई कारण हैं.
शेर अपने झुंड में रहता है, जिसे प्राइड कहा जाता है. वह अपने झुंड की रखवाली करता है, चाहे वह दूसरे शेर से हो या कोई और खतरा हो, ताकि उसके झुंड के सभी सदस्य सुरक्षित रहें. इसलिए हम कह सकते हैं कि शेर में लीडरशिप क्वालिटी होती है.
अगर आप शेर की बात करते हो, तो उसे छुपकर रहने की आदत नहीं है. वह अक्सर घने जंगल में निवास नहीं करता, बल्कि खुले मैदानों या घास के मैदानी इलाकों में रहना ज्यादा पसंद करता है, जो शेर के बेखौफ अंदाज को दिखाता है.
सभी जानवरों में हाथी आकार में सबसे बड़ा है, भालू बेहद ताकतवर है और चीता सबसे तेज दौड़ता है, लेकिन शेर का दबदबा और व्यक्तित्व इन सब से अलग होता है. उसकी दहाड़ 8–10 किलोमीटर तक सुनाई देती है, जो मानो पूरे जंगल में गूंजती है.
शेर सिर्फ ताकतवर ही नहीं होता बल्कि चालाक भी होता है. जब भी शिकार की बात आती है, तो शेर और शेरनी दोनों मिलकर शिकार करते हैं. शेर के शामिल होने से पूरे झुंड को एक नई ताकत मिलती है, जिससे वे बड़े से बड़े और तेज जानवरों का शिकार कर पाते हैं.
शेर की एक बड़ी खासियत यह होती है कि शेर आमतौर पर बिना वजह शिकार नहीं करता. उसके शिकार करने का मुख्य उद्देश्य होता है अपनी और अपने झुंड के सदस्यों की भूख मिटाना और अपने शरीर की ऊर्जा बढ़ाना.
अगर शेर और चीता के अंतर की बात करें, तो शेर ताकतवर और खूंखार शिकारी होता है, लेकिन चीता तेज और खतरनाक शिकारी तो है, पर साथ ही कमजोर भी. वह अक्सर अपना खाना दूसरे ताकतवर जंगली जानवरों के हाथों गंवा देता है.
भालू बहुत ताकतवर होता है, लेकिन वह अकेले रहने वाला जानवर है. उसमें न नेतृत्व का गुण होता है, न समूह में रहने की आदत और न ही अपने इलाके पर वैसे राज करने वाला स्वभाव. यही वजह है कि उसे जंगल का राजा नहीं माना जाता.