बंद वैगन होने के बाद भी कोयला मालगाड़ी के खुले डिब्बों में ही क्यों ले जाया जाता है? एक नही कई हैं वजह
आपके मन में यह बात आ रही होगी कि ओपन वैगन में कोयले के चोरी होने का डर रहता है. बारिश होने की स्थिति में ओपन वैगन होने से कोयला भीग भी जाता है. तब भी कोयले की ढुलाई ओपन वैगन में ही क्यों होती है? आप जरूर यह सोच रहे होंगे कि रेलवे के पास बंद वाले वैगन भी होते हैं, फिर ऐसी बेवकूफी क्यों की जाती है?
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View In Appदरअसल, भारत ही नहीं, बल्कि दुनियाभर के ज्यादातर देशों में कोयला ओपन वैगन में ही ढोया जाता है. रेलवे की भाषा में इन वैगनों को बॉक्स एन वैगन (BOXN Wagon) कहते हैं.
जब कोयला खदान से निकलता है, उसके बाद उसे पिट हेड पर लाया जाता है. यहां कोयले का स्टॉक यार्ड बना होता है. फिर स्टॉक यार्ड में माल गाड़ी को लगा दिया जाता है और वैगनों में कोयले को लोड कर दिया जाता है.
मालगाड़ी में कोयले की लोडिंग बुलडोजर या फिर मशीन से होती है. खुले वैगन में लोडिंग करना बेहद आसान होता है. ऐसे में अगर वैगन वैगन बंद होगा तो उसमें कोयले की लोडिंग करने में ही काफी वक्त लग जायेगा और कई समस्याएं आएंगी.
कोयला अत्यंत ज्वलनशील पदार्थ है, यह आसनी से आग पकड़ लेता है. इसे ओपन वैगन में ढोये जाने का मुख्य कारण आग से बचाव भी है. क्योंकि, किन्ही कारणों से अगर कोयले में आग लगती है तो ओपन वैगन में यह आसानी से नजर आ जायेगी और दूर से ही आग लगने का पता चल जायेगा. जिससे समय रहते इसे बुझाना भी आसान होगा.
इसके अलावा, इन वैगन से कोयला उतारना भी आसान होता है. ज्यादातर जगहों पर ऐसी व्यवस्था होती है कि मालगाड़ी जहां खड़ी होती है, वहीं मशीनों से कोयले से लदा हुआ बॉक्स बगल में पलट दिया जाता है. वैगन ओपन होने की वजह से उसे खाली करने में बस कुछ मिनटों का ही समय लगता है. अगर वैगन बंद होगा तो उससे कोयला उतारने में काफी समय लगेगा.
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