आखिर क्यों खराब होती है डॉक्टरों की हैंड राइटिंग, इस देश में खराब लिखावट की वजह से हो गई थीं 7000 मौतें
बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के अध्यक्ष डॉ. दिलीप भानुशाली बताते हैं कि लगभग 330,000 डॉक्टरों वाले संगठन में यह सभी जानते हैं कि कई डॉक्टरों की लिखावट स्पष्ट नहीं होती.
इसका सबसे बड़ा कारण है अत्यधिक व्यस्तता, खासकर भीड़भाड़ वाले सरकारी अस्पतालों में. वहां डॉक्टरों को लगातार मरीजों को देखना, प्रिस्क्रिप्शन लिखना और मेडिकल रिकॉर्ड अपडेट करना पड़ता है. इस तेज काम के दबाव में अक्षर अक्सर धुंधले या टेढ़े-मेढ़े हो जाते हैं.
भारत में भी डॉक्टरों की हैंड राइटिंग पर कई बार सवाल उठ चुके हैं. ओडिशा हाई कोर्ट ने डॉक्टरों की टेढ़ी-मेढ़ी लिखावट को लेकर चिंता जताई थी, वहीं इलाहाबाद हाई कोर्ट के जजों ने कहा कि ऐसी खराब लिखावट वाली रिपोर्ट्स, जिन्हें पढ़ा नहीं जा सकता, मरीजों के लिए खतरा पैदा करती हैं.
सिर्फ इतना ही नहीं, 1999 की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में मेडिकल गलतियों के कारण सालाना लगभग 44,000 मौतें होती रहीं, जिनमें से 7,000 मौतें सिर्फ खराब लिखावट के कारण हुई थीं.
भारत जैसे देश में जहां अस्पतालों में मरीजों की भीड़ बहुत ज्यादा है, डॉक्टरों की तेज और अस्पष्ट लिखावट कभी-कभी जानलेवा साबित हो सकती है.
एक और खराब हैंडराइटिंग का उदाहरण स्कॉटलैंड में देखने को मिला, जहां हाल ही में एक महिला को ड्राई आई की समस्या के लिए गलती से इरेक्टाइल डिस्फंक्शन क्रीम दे दी गई, जिससे उसे केमिकल इंजरी हो गई.
ब्रिटेन के स्वास्थ्य अधिकारियों ने माना कि दवाइयों से जुड़ी गलतियों के कारण भारी नुकसान और मौतें हुई हैं. उन्होंने यह भी कहा कि इलेक्ट्रॉनिक प्रिस्क्रिप्शन सिस्टम लागू करने से ऐसी गलतियों में 50 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है.