Sneeze Reflex: क्या होता है छींक आने के पीछे का कारण, जानिये इसकी साइंटिफिक वजह
जब पॉलेन, डस्ट माइट्स, पालतू जानवरों के बाल या फफूंदी जैसे पदार्थ नाक में जाते हैं तो आपका इम्यून सिस्टम एक्शन में आ जाता है. यह इन हानिरहित कणों को खतरा समझता है और हिस्टामाइन रिलीज करता है. यह सूजन नाक की लाइनिंग में इरिटेशन करती है जिससे छींक आती है.
सर्दी, फ्लू और बाकी रेस्पिरेट्री इनफेक्शन नाक के अंदर म्यूकस मेम्ब्रेन में सूजन पैदा करते हैं. जैसे-जाते वायरस बढ़ने लगता है इरिटेशन बढ़ती जाती है. यही वजह है कि छींक बार-बार आती है.
धुआं, प्रदूषण, परफ्यूम, सफाई के केमिकल और यहां तक कि मिर्च जैसे मसाले भी नाक में सेंसिटिव नर्व एंडिंग्स को एक्टिवेट कर सकते हैं. एक बार इरिटेशन होने पर यह नसें दिमाग को तेजी से सिग्नल भेजती है और इरिटेंट को बाहर निकालने के लिए छींकने का सिग्नल देती हैं.
लगभग 18 से 35% लोग फोटिक स्नीज रिफ्लेक्स से ग्रस्त होते हैं. इसमें अचानक तेज रोशनी, खासकर सूरज की रोशनी के संपर्क में आने पर छींक आती है. यह आंख और नाक से जुड़ी नसों की क्रॉस वायरिंग की वजह से होता है.
गर्म कमरे से ठंडी हवा में जाने या फिर ठंडी हवा में सांस लेने से भी नाक की नसें अचानक रिएक्ट करती हैं. यह थर्मल झटका एक प्रोटेक्टिव रिस्पांस के तौर पर छींक की वजह बनता है.
कुछ लोगों को भारी खाना खाने के बाद भी छींक आती है. इसे स्नेटिएशन कहते हैं. यह पेट के फैलने की वजह से होती है जो छींक केंद्र से जुड़े नर्व पाथवे को एक्टिवेट करता है.