बाघ एकदूसरे पर क्यों करते हैं हमला, बेहद रोचक है इसके पीछे की सच्चाई
वहीं इधर हाल ही में महाराष्ट्र के यवतमाल में बाघिन ने अपने ही दो शावकों को मौत के घाट उतार दिया था. पहले भी कुछ टाइगर रिजर्व से बाघों के एकदूसरे पर हमले की घटनाएं सामने आ चुकी हैं.
हालांकि विशेषज्ञों के मुताबिक ज्यादातर जंगली जानवर अपनी प्रजाति के जानवरों पर हमला नहीं करते हैं. लेकिन सरीसृप वर्ग में आने वाले सांप ही अपने अंडे खुद खा जाते हैं. वन्यजीव विशेषज्ञ अपनी ही प्रजाति के जानवरों का शिकार करने को कैनिबलिज्म कहते हैं.
विशेषज्ञों के मुताबिक जब आपसी लड़ाई में बाघ बहुत ज्यादा गुस्से में आ जाते हैं, तो एक बाघ दूसरे का शिकार कर लेते हैं. हालांकि बाघों की लड़ाई भूख के लिए नहीं होती है. जबकि एक बाघ दूसरे बाघ को मारने के बाद उसके शरीर को चीर-फाड़ देता है, लेकिन खाता नहीं है. विशेषज्ञों का कहना है कि बाघ खुद को दूसरे ज्यादा ताकतवर साबित करने के लिए अपनी ही प्रजाति के जानवरों का शिकार करते हैं.
वहीं कुछ विशेषज्ञों के मुताबिक ये साफ नहीं है कि बाघ दूसरे बाघ को मारने के बाद खाते हैं या छोड़ देते हैं. ये उस समय बाघ की मानसिक हालत पर बहुत ज्यादा निर्भर करता है. वहीं बाघों की आपसी लड़ाई अमूमन इलाके के लिए होती है.
जानकारों के मुताबिक बिग कैट फैमली के जानवर इलाके बांटकर रखते हैं. ऐसे में अगर दूसरा बाघ उनके इलाके में घुसपैठ करता है, तो दोनों में लड़ाई होना तय है.विशेषज्ञों के मुताबिक बाघिन बाघ पर हमले का कारण इलाका कभी नहीं होता है.
वहीं बाघ और बाघिन के बीच लड़ाई मेटिंग के कारण होती है. कई बार बाघिन मेटिंग से इनकार कर देती है और बाघ उससे लड़ जाता है. बाघिन अपने बच्चों के कारण भी मेटिंग नहीं करती है. बाघिन के बच्चे उसके साथ दो साल तक रहते हैं. इतना ही नहीं बाघ मेटिंग के लिए कई बार बाघिन के बच्चों यानी शावकों को भी मार देता है. मेटिंग के लिए ऐसा स्वभाव बाघों के साथ ही शेर, तेंदुआ जैसे बिग कैट फैमली के दूसरे जानवरों में भी होता है.