आर्य समाज में शादी को प्रायॉरिटी क्यों देते हैं कपल्स, कितना मिलता है फायदा?
आर्य समाज में शादी को कपल्स इसलिए प्राथमिकता देते हैं, क्योंकि यह सरल, त्वरित और एक कम खर्चीली प्रक्रिया होती है. यह हिंदू रीति-रिवाजों का पालन करती है.
आर्य समाज की शादी अंतरजातीय विवाहों को भी मान्यता देती है और मैरिज सर्टिफिकेट भी प्रदान करती है. ये शादियां कम वक्त और कम प्रयास में संपन्न हो जाती हैं.
आर्य समाज में होने वाली शादियों में कम खर्चों पर दिखावटी रस्मों से बचा जा सकता है. ये जाति या धर्म के बंधन के बिना दो लोगों को शादी करने की अनुमति देती है.
आर्य समाज की शादियां हिंदू रीति-रिवाजों के साथ-साथ वैदिक मंत्रों के साथ संपन्न होती हैं, जिसका धार्मिक महत्व भी बना रहता है. यह उन जोड़ों के लिए बहुत लोकप्रिय है, जो कि एक सरल और कानूनी विवाह चाहते हैं.
आर्य समाज की शादियां हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के तहत कानूनी रूप से मान्य होती हैं. यह दहेज प्रथा का समर्थन नहीं करता है और किसी भी जाति के लोग यहां विवाह करा सकते हैं.
हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख आदि सभी लोग आर्य समाज मंदिर में शादी कर सकते हैं. आर्य समाज मूर्ति पूजा पर विश्वास नहीं करता है. ऐसे में धार्मिक स्वतंत्रता चाहने वाले लोगों के लिए भी बेस्ट ऑप्शन है.
आर्य समाज में शादी के लिए एक प्रक्रिया निर्धारित की गई है, जिसका पालन करना जरूरी होता है. यहां पर रजिस्ट्रेशन के बाद ही शादी करवाई जाती है.