आतंकी हमला होने पर हॉस्पिटल में कौन सा कोड होता है एक्टिवेट? ये हैं नियम
हॉस्पिटल में आपातकालीन कोड इसलिए लगाए जाते हैं, जिससे कि कोई भी इमरजेंसी की सिचुएशन में कोड में बात की जा सके और मरीजों में पैनिक न होने पाए.
अस्पताल में हार्ट के मरीज या फिर अन्य कई गंभीर बीमारियों के मरीज भी भर्ती होते हैं, अगर उनको इस तरह की बातें सीधे तौर पर बता दी गईं तो वे बहुत ज्यादा घबरा सकते हैं और उनको हार्ट अटैक आने की भी संभावना होती है.
इसीलिए हॉस्पिटल में ऐसी घटनाओं की जानकारी देने के लिए कोड वर्ड्स का इस्तेमाल किया जाता है. ये ऐसे कोड होते हैं जो कि अस्पताल के कर्मचारियों को मालूम होते हैं.
अगर हॉस्पिटल में कोई आतंकी घटना हो जाती है तो आमतौर कोड ऑरेंज या फिर कोड सिल्वर को एक्टिवेट कर दिया जाता है. कोड ऑरेंज बाहरी आपदा या फिर बड़े पैमाने पर होने वाली घटना को दर्शाता है.
इस परिस्थिति में आतंकी हमला भी शामिल हो सकता है. कोड सिल्वर कोई अन्य एक्टिव शूटर या फिर किसी और सुरक्षा या खतरे की स्थिति में लागू होता है. कुछ अस्पतालों में कोड ऑरेंज मेडिकल डीकंटैमिनेशन की जरूरत को भी दर्शाता है.
ऐसे में आतंकवादी हमले जैसी परिस्थिति में मरीजों को किसी भी हाल में सुरक्षित जगह पर पहुंचाने की जिम्मेदारी हो जाती है, वहीं अगर कोई मरीज आतंकी हमले में घायल हुआ है तो सर्वप्रथम उसका इलाज करना बड़ी जिम्मेदारी बन जाती है.