ब्रिटिश सेना में कितनी थी भारतीयों की संख्या, जान लीजिए जवाब
ब्रिटिश शासन के दौरान भारतीयों की भर्ती ब्रिटिश इंडियन आर्मी के नाम से होती थी, जो धीरे-धीरे ब्रिटिश साम्राज्य की सबसे मजबूत सैन्य ताकत बन गई. 19वीं सदी के अंत तक भारत, ब्रिटेन के लिए सैनिकों की सबसे बड़ी आपूर्ति करने वाला देश बन चुका था.
भारतीय सैनिक न सिर्फ एशिया, बल्कि यूरोप, अफ्रीका और मध्य पूर्व के मोर्चों पर भी तैनात किए गए. प्रथम विश्व युद्ध के दौरान लगभग 1.3 मिलियन यानी 13 लाख भारतीय सैनिकों ने स्वेच्छा से ब्रिटिश सेना के लिए सेवा दी थी.
ये सैनिक फ्रांस, बेल्जियम, मेसोपोटामिया और अफ्रीका जैसे कठिन मोर्चों पर लड़े. इस युद्ध में 74,000 से अधिक भारतीय सैनिक शहीद हुए और करीब 67,000 घायल हुए. उस दौर में यह संख्या किसी भी उपनिवेश के लिए अभूतपूर्व थी और इसने भारत को वैश्विक सैन्य मानचित्र पर मजबूती से स्थापित कर दिया.
द्वितीय विश्व युद्ध में भारतीय सैनिकों की संख्या ने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए. इस युद्ध के दौरान 2.5 मिलियन यानी 25 लाख से अधिक भारतीय सैनिक ब्रिटिश सेना का हिस्सा बने, जिसे इतिहास की सबसे बड़ी स्वयंसेवी सेना माना जाता है.
यूरोप से लेकर बर्मा और उत्तर अफ्रीका तक भारतीय सैनिकों ने निर्णायक लड़ाइयों में हिस्सा लिया. इस युद्ध में 87,000 से अधिक भारतीय सैनिकों ने अपने प्राण न्योछावर किए.
भारतीय सैनिकों की यह विशाल संख्या जबरन भर्ती का नतीजा नहीं थी. अधिकांश सैनिक स्वेच्छा से सेना में शामिल हुए थे, जिनमें ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाले युवा बड़ी संख्या में थे. आर्थिक मजबूरी, सामाजिक प्रतिष्ठा और सैनिक परंपरा इसके प्रमुख कारण रहे.
यही वजह है कि ब्रिटिश इंडियन आर्मी को एक संगठित और अनुशासित स्वयंसेवी बल के रूप में देखा गया. 1920 के दशक में भारतीयों को सैन्य अफसर बनने का अवसर मिलना शुरू हुआ. इसके तहत देहरादून में भारतीय सैन्य अकादमी की स्थापना की गई, जहां भारतीय कैडेट्स को कमीशन दिया जाने लगा.