छठी का दूध याद दिला दिया... क्या होती है छठी और उसके दूध में ऐसा क्या खास होता है?
हर मुहावरे या कहावत के बनने के पीछे कोई न कोई तर्क या घटना जरूरी जुड़ी होती है. सवाल है कि इस मुहावरे को किस तर्क पर बनाया गया? दरअसल, इस मुहावरे के बनने को लेकर कोई सटीक जानकारी नहीं हैं, फिर भी उपलब्ध जानकारी के अनुसार इस मुहावरे के बनने के पीछे दो तर्क प्रचलित हैं.
हर मुहावरे या कहावत के बनने के पीछे कोई न कोई तर्क या घटना जरूरी जुड़ी होती है. सवाल है कि इस मुहावरे को किस तर्क पर बनाया गया? दरअसल, इस मुहावरे के बनने को लेकर कोई सटीक जानकारी नहीं हैं, फिर भी उपलब्ध जानकारी के अनुसार इस मुहावरे के बनने के पीछे दो तर्क प्रचलित हैं.
पहले तर्क के मुताबिक, जब किसी पर इतना ज्यादा दुख टूट पड़े, जिन्हे देखकर उसे पिछले सुख याद आने लग जाते हैं तो इसे छठी का दूध याद आना कहा जाता है. जिसका अर्थ होता है की जब छठी क्लास मे होते है तो बहुत सुख होते हैं और इस समय कितने दुख हैं. इन दुखों को देखकर वो सुख का समय याद आने लगता है.
दूसरे तर्क के अनुसार, जब कोई शिशु जन्मता है तो जन्म से लेकर छठवें दिन को छठी कहते हैं. जब शिशु जन्मता है तो शुरूआत में उसके लिए दूध पचा पाना मुश्किल होता है, इसलिए छठवें दिन जब वह मां का दूध पान करता है तो उसके पेट में बहुत दर्द होता है और उसकी हालत बहुत खराब हो जाती है. उसी प्रकार जब कोई व्यक्ति भारी संकट में पड़ता है और उसकी हालत खराब हो जाती है तब वह कह सकता है कि मुझे तो ‘छठी का दूध याद आ गया’.
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, जब घर में किसी बच्चे का जन्म होता है, तो उसके 6 दिन बाद षष्ठी देवी की पूजा की जाती है और इसे 'छठी' कहते हैं. मान्यता है कि छठी के दिन षष्ठी देवी नवजात शिशु को स्वस्थ्य रहने का आशीर्वाद देती हैं.