No Fly Zone: क्या होता है नो फ्लाइंग जोन, जानें क्यों कुछ खास जगहों के ऊपर से नहीं गुजर सकता हवाई जहाज
नो फ्लाइंग जोन एक शील्ड के रूप में काम करता है, जिसमें हाई सिक्योरिटी जगह को हवाई हमले, अचानक क्रैश होने या ड्रोन के गलत इस्तेमाल से बचाया जाता है. आज के समय में खतरे हल्के ड्रोन या फिर छोटे एयरक्राफ्ट से भी आ सकते हैं. ऐसी जगह के ऊपर एयरक्राफ्ट की मूवमेंट पर पूरी तरह से बैन लगा दिया जाता है.
राष्ट्रपति भवन के ऊपर का एयर स्पेस भारत के सबसे ज्यादा सुरक्षित जोन में से एक है. किसी भी सिविलियन, प्राइवेट या फिर कमर्शियल एयरक्राफ्ट को इसके ऊपर से उड़ने की इजाजत नहीं है. यहां पर ड्रोन उड़ाना भी एक गंभीर जुर्म माना जाता है.
तिरुमाला वेंकटेश्वर मंदिर के ऊपर से भी ड्रोन, हेलीकॉप्टर या फिर प्राइवेट प्लेन नहीं गुजर सकता. यहां पर हर रोज लाखों भक्त आते हैं और छोटा सा भी हादसा बड़ी त्रासदी की वजह बन सकता है. इस वजह से इस इलाके को नो फ्लाई जोन घोषित किया गया है.
सेंट्रल दिल्ली में पार्लियामेंट, प्रधानमंत्री का घर, सिक्योरिटी एजेंसियां और बाकी सेंसिटिव मिनिस्ट्री के ऑफिस आते हैं. सभी तरह के खतरे को खत्म करने के लिए जोन के ऊपर से उड़ना बैन है. इस एरिया में भटकने वाले हर तरह के एयरक्राफ्ट की तुरंत जांच की जाती है.
भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर न्यूक्लियर रिसर्च, सेंसिटिव एक्सपेरिमेंट और क्लासिफाइड नेशनल सिक्योरिटी का काम संभालता है. खास वजहों से इसके आसपास का एयर स्पेस पूरी तरह से बंद है. क्योंकि यह जगह काफी सेंसिटिव है इस वजह से इसके ऊपर से बिना इजाजत के उड़ने वाला कोई भी एयरक्राफ्ट नेशनल सिक्योरिटी के लिए खतरा बन सकता है.
ताजमहल को भी नो फ्लाई जोन घोषित किया गया है. ऊपर से उड़ने वाले हवाई जहाज वाइब्रेशन, प्रदूषण या फिर अचानक होने वाली दुर्घटनाओं की वजह से खतरा पैदा कर सकते हैं. इस वजह से स्ट्रक्चर को नुकसान पहुंच सकता है.