क्या होता है डिजिटल रेप, इस केस में आरोपी को कितनी मिलती है सजा?
डिजिटल रेप के मामले में अगर आपको लग रहा है कि इसका मतलब ऑनलाइन पॉर्न देखना या फिर महिला के खिलाफ किसी तरह के ऑनलाइन अपराध से है.
लेकिन ऐसा नहीं होता है. डिजिटल रेप का अर्थ है जब आरोपी पीड़िता का सेक्सुअल असॉल्ट अपने हाथ या फिर पैरों की उंगलियों से करता है.
आसान भाषा में समझें में जब कोई आरोपी किसी महिला के निजी अंगों को बिना उसकी इजाजत के अपनी उंगलियों के जरिए छूता है, तो उसे डिजिटल रेप कहा जाता है.
निर्भया कानून के बाद यह कानून आया था. साल 2013 में इसको मान्यता मिली थी. इसका मतलब था कि अगर हाथ की किसी उंगली या अंगूठे के सहारे जबरदस्ती पेनेट्रेशन को यौन अपराध माना गया है.
इसको सेक्शन 375 और पॉक्सो एक्ट की श्रेणी में रखा गया है. इस मामले में कई बार उम्रकैद की सजा भी सुनाई जाती है और जुर्माने का भी प्रावधान होता है.
ऐसे मामलों में ज्यादातर पीड़ित छोटी बच्चियां होती हैं, इसलिए आरोपी पर पॉक्सो एक्ट के तहत भी कार्रवाई होती है.
अपराध की गंभीरता को देखते हुए एक्ट में 20 साल की सजा से लेकर उम्रकैद तक का प्रावधान है. अगर अपराध के दौरान पीड़िता की मौत हो गई तब तो फांसी की सजा भी हो सकती है.